चीन की वायुसेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) के विवादास्पद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से सटे तिब्बत ऑटोनोमस रीजन (TAR) में कड़े युद्धाभ्यास और इस क्षेत्र में ड्रैगन की बढ़ती हवाई ताकत ने भारतीय एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। अब इंडियन एयर फोर्स ने भी ईस्टर्न सेक्टर में अपनी मौजूदगी को और ज्यादा सक्षम बनाने का फैसला किया है। इन योजना में आकाश मिसाइल सिस्टम के 6 यूनिट लगाना की शामिल है। चीन से सटी लंबी सीमा के मद्देनजर वायु सेना यहां शिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर की एक-एक टुकड़ी तैनात करने की योजना भी बना रही है। इसके अलावा, रूसी S-400 मिसाइल सिस्टम और राफेल लड़ाकू विमान तैनात करने की भी तैयारी है।

सूत्रों के मुताबिक, शिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टरों की तैनाती 2020 तक पूरी हो जाएगी। वहीं, रूसी मिसाइल सिस्टम और राफेल लड़ाकू विमानों को 2021 तक तैनात कर दिया जाएगा। सुखोई Su-30MKI विमानों की एक और टुकड़ी भी तैनात करने की चर्चाएं हैं। भारत की ओर से ये कदम एलएसी पर चीनी गतिविधियों में आई तेजी के मद्देनजर उठाया जा रहा है। वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘डोकलाम प्रकरण के बाद चीनी वायु सेना ने तिब्बत क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना शुरू कर दिया है। अगस्त 2016 के बाद से भातीय वायु सेना ने आकाश के 6 यूनिट यहां भेजे हैं। अभी तक इस इलाके में कोई एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद नहीं था।’

अफसर ने बताया, ‘भारतीय वायु सेना ने निगरानी बढ़ा दी है। जहां चीन इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है, वहीं चीनी सैनिकों को सेंट्रल हीटिंग सुविधा वाली तीन मंजिली इमारतें दी जा रही हैं। ये इमारतें सीमा से नजर आती हैं।’ बता दें कि तिब्बत ऑटोनोमस रीजन से मिले इंटेलिजेंस इनपुट्स के मुताबिक, यहां हालिया युद्धाभ्यास के दौरान चीनी वायुसेना ने सैन्य जुटाव के नए तरीके का इस्तेमाल किया है। इसके लिए सैन्य और नागरिक ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया गया। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, एलएसी से महज 750 किमी दूर चीन के चिंघाई में एक हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, तिब्बत क्षेत्र में तीन नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।