छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। एक तरफ गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा का रणनीति को धार देने का काम किया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपने संगठन को और ज्यादा मजबूत करने पर जोर दे रही है। इस बीच खबर आई है कि टीएस सिंह देव ने खुद को सीएम रेस से पीछे कर लिया है। दो टूक कहा गया है कि अगर चुनाव में जीत मिलती है तो सीएम पद के लिए सबसे पहले बघेल के नाम पर चर्चा की जाएगी।

टीएस सिंह का बड़ा बयान, क्या मायने?

डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने कहा कि अगर अभी तक किसी सीएम को उसके पद से नहीं हटाया गया है, मतलब साफ है कि उस व्यक्ति पर पार्टी को पूरा विश्वास है। अब खुद सोचिए जो टीम को जीत दिलाने में सक्षम होगा, उस स्थिति कप्तान क्यों बदला जाएगा। उनका ये कहना साफ कर गया है कि सीएम रेस में एक बार फिर भूपेश बघेल ही सबसे आगे चल रहे हैं। अगर कांग्रेस की फिर सत्ता में वापसी होती है, उस स्थिति में भूपेश बघेल का सीएम पद वाला रास्ता साफ रह सकता है।

वैसे एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए टीएस सिंह ने एक बड़ा अनुमान भी जताया है। चुनाव को लेकर सभी तरफ से बड़े दावे हो रहे हैं। कांग्रेस तो ज्यादा ही विश्वास में दिख रही है, तभी तो कई कार्यकर्ताओं की तरफ से दावा हो गया है कि 75 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलने वाली है। लेकिन उन दावों पर टीएस सिंह का कहना है कि कांग्रेस को आगामी चुनाव में 60 से 75 सीटें मिल सकती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तो 68 सीटें जीत कांग्रेस ने बीजेपी का पूरी तरह सफाया कर दिया था।

तनातनी वाला रिश्ता, क्यों बदला रुख?

अब यहां ये समझना जरूरी है कि टीएस सिंह और भूपेश बघेल के बीच में तनातनी वाला रिश्ता रहा है। सीएम पद को लेकर तो ऐसा बवाल देखने को मिला कि एक वक्त टीएस सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था। असल में टीएस सिंह देव की तरफ से कई मौकों पर बताया गया था कि उनकी सरकार में ही उनकी सुनी नहीं जाती। यहां तक खबरें आई थीं कि ऐसी फाइलें रहीं जिन्हें ऊपर से कभी मंजूरी नहीं मिली। इसके ऊपर एक समय जिन टीएस देव के पास 50 से ज्यादा विधायकों का समर्थन था, एक समय में आकर वो संख्या पांच से दस पर सिमट गई। यानी कि सीएम के सपने देखने वाले टीएस सिंह देव सियासी हाशिए पर आने लगे थे।

लेकिन अब जब कांग्रेस ने उन्हें चुनाव से ठीक पहले डिप्टी सीएम का पद दिया है, उनका रवैया बदला है। उस बदले रवैये में ही भूपेश बघेल को बतौर सीएम स्वीकार करना भी शामिल है। देखना ये रहेगा कि आखिर कब तक टीएस सिंह देव अपने इस रुख पर कायम रहते हैं, क्योंकि राजनीति में कुछ भी कभी भी हो सकता है।