कोरोना संक्रमण की वजह से शूटर दादी के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर का निधन हो गया। 89 वर्षीय शूटर दादी अपने परिवार के साथ बागपत में रहा करती थीं। 60 साल की उम्र में प्रोफेशनल शूटिंग शुरू करने वाली चंद्रो तोमर काफी कम समय में देश की मशहूर निशानेबाज बन गईं थी। चंद्रो तोमर के शूटर दादी बनने की कहानी भी काफी रोचक रही है।

उत्तरप्रदेश के बागपत के जौहड़ी गांव की रहने वाली शूटर दादी बीते 26 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गई थी। जिसके बाद बीते शुक्रवार को उन्हें बागपत के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उनकी मौत हो गई। शूटर दादी के नाम से मशहूर चंद्रा तोमर और उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर ने कई टूर्नामेंट साथ खेले हैं। साथ ही शूटर दादी को स्त्री शक्ति सम्मान भी दिया गया था।

हालांकि चंद्रो तोमर के शूटर दादी बनने की कहानी काफी रोचक और प्रेरणादायक है। साल 2019 में जनसत्ता के साथ बातचीत में शूटर दादी ने कहा था कि जब वह 60 वर्ष की हुई तो उन्होंने शूटिंग करने की इच्छा जताई तो गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया लेकिन उनके परिवार में बेटों और बेटियों ने उनका हौंसला बनाए रखा। चंद्रो तोमर ने बातचीत में यह भी कहा था कि जब वह शूटिंग रेंज के लिए जाया करती थी तो लोग उनको खूब ताना दिया करते थे लेकिन उन्होंने लोगों की बात को ही अनसुना करना शुरू कर दिया था।

साथ ही चंद्रो तोमर ने यह भी बताया था कि उनकी पोती शूटिंग करने क्लब में जाया करती थी. लेकिन लड़कों का क्लब होने की वजह से चंद्रो तोमर की पोती शेफाली तोमर अकेले जाने में डरा करती थी। जिसकी वजह से चंद्रो तोमर ने उसके साथ जाना शुरू कर दिया। उसी दौरान चंद्रो तोमर अपनी पोती को पिस्तौल में गोली डालने में मदद करने लगी। साथ ही एक दिन चंद्रो तोमर ने खुद से सटीक निशाना भी लगा लिया जिसे देखकर क्लब में मौजूद रहे सभी लोग अवाक हो गए। जिसके बाद क्लब के लोगों ने ही उन्हें शूटिंग में आने के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके बाद उनकी रिश्तेदार प्रकाशी तोमर भी उनके साथ शूटिंग रेंज में जाने लगी।

चंद्रा तोमर के निधन पर उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरा साथ छूट गया, चंद्रो कहां चली गई। बता दें कि चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के ऊपर सांड की आंख नाम से एक फिल्म भी बनी थी।