भारत का चंद्रयान 3 मिशन इस समय एक बीच मझधार में फंस गया है। शनिवार से इसरो द्वारा प्रज्ञान और विक्रम को फिर एक्टिव करने की कोशिश की जा रही है, लगातार सिग्नल भी भेजे जा रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा। यानी कि अभी भी विक्रम और प्रज्ञान निष्क्रिय ही चल रहे हैं। बड़ी बात ये है कि इस समय चांद पर सूरज की पूरी रोशनी है, इसी उर्जा के दम पर दोनों विक्रम और प्रज्ञान को स्लीपिंग मोड से बाहर आना था, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया।

क्या दिक्कत आ रही है?

अब इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस पूरी प्रक्रिया पर एक बड़ा अपडेट दिया है। उन्होंने कहा है कि लैंडर और रोवर से संपर्क साधने का प्रयास जारी रहने वाला है। चंद्रमा पर जब से सूर्योदय फिर हुआ है, दोनों को सक्रिय करने की कोशिश जारी है जिससे आगे की रिसर्च को भी जारी रखा जा सके। इसरो चीफ ने इस बात पर भी जोर दिया है कि दोनों विक्रम और प्रज्ञान के पास ऐसी तकनीक है कि जैसे ही उसे पर्याप्त उर्जा मिलेगी, वो खुद ही जाग उठेगा।

वैसे इतना विश्वास इसलिए दिखाया जा रहा है क्योंकि अभी भी भारत के मून मिशन के पास 12 दिन का वक्त है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जब तक सूरज की रोशनी आती रहेगी, पूरी संभावना है कि एक बार फिर प्रज्ञान और विक्रम एक्टिव हो जाएं और अपनी आगे की खोज को भी जारी रखें। जानकारी के लिए बता दें कि भारत लैंडर और रोवर अत्याधुनिक तकनीक के साथ भेजे गए हैं, ऐसे में उनके फिर सक्रिय होने की पूरी संभावना मानी जा रही है।

स्लीपिंग मोड में क्यों गया?

यहां ये समझना जरूरी है कि 2 सितंबर को इसरो ने ये जानकारी दी थी कि प्रज्ञान को सुला दिया गया है। इसरो ने बताया था कि प्रज्ञान रोवर को एक सुरक्षित जगह पर पार्क कर दिया गया है, वो अब स्लीपिंग मोड में चला गया है। इसके अलावा एपीएक्सएस फ्लोड्स को भी बंद कर दिया गया है। अब प्रज्ञान को सोते हुए कई दिन बीत चुके हैं और उसे जगाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।