ISRO का मून मिशन चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर रोज नई डिस्कवरी कर रहा है। अब ISRO ने जानकारी दी है कि रोवर पर लगा लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) इंस्ट्रूमेंट पहली बार इन-सीटू मेजरमेंट दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर (एस) की मौजूदगी की स्पष्ट रूप से पुष्टि करता है। ISRO ने बताया कि उम्मीद के मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैग्नीशियम और सिलिकॉन डिटेक्ट किया गया है। रोवर चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन की खोज कर रहा है।

10 दिन बाद क्या करेंगे रोवर?

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। विक्रम लैंडर में लगे CHASTE पेलोड ने पता लगाया है कि चंद्रमा की ऊपर और निचली सतह के तापमान में काफी अंतर है। चंद्रमा की ऊपरी सतह का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस है तो वहीं चंद्रमा की सतह से कुछ मिलीमीटर नीचे तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगले 10 दिन तक चन्द्रमा पर एक्सपेरिमेंट करते रहेंगे।

आपको बता दें कि लूनर मिशन के दो चरण सफलतापूर्वक पार हो चुके हैं। इसका तीसरे पड़ाव में डाटा जुटाने का काम चल रहा है। प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर घुमाकर अधिक से अधिक डाटा जुटाने की कोशिश की जा रही है। चंद्रयान मिशन के पास अब आखिरी के 10 दिन बचे हुए है। चंद्रयान को चांद पर पहुंचे हुए एक हफ्ता हो गया है।

साउथ पोल पर होने वाला है घनघोर अंधेरा

प्रज्ञान रोवर 14 दिन चन्द्रमा पर बिताने के बाद अगले 14 दिन के लिए घनघोर अंधेरे में चला जाएगा। चांद पर अंधेरा छाने के बाद वहां का तापमान माइनस 180 डिग्री से 250 डिग्री तक चला जाता है। अगर अंधेरा हटने के बाद जब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सूर्य की रोशिनी मिलेगी तो इन उपकरणों के फिर से रिवाइव होने की गुंजाइश है। चंद्रयान-3 में लगा इल्‍सा उपकरण मून-क्‍येक यानी चंद्रमा पर आने वाले भूकंप को मापेगा। चंद्रयान-3 ऐसे कई रहस्‍य सुलझाने में उपकरणों से म‍िली जानकार‍ियां मदद करेंगी।

चंद्रमा की सतह पर जब रोवर के सामने आ गया गड्ढा

ISRO ने सोमवार को बताया कि रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर अपनी अवस्थिति के ठीक आगे चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के करीब पहुंच गया, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया। ISRO ने बताया कि रोवर अब सुरक्षित रूप से एक नए मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

ISRO ने कहा कि 27 अगस्त को रोवर चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के नजदीक पहुंच गया, जो इसकी अवस्थिति से तीन मीटर आगे था। इसने कहा, “रोवर को पीछे जाने का निर्देश दिया गया।” आपको बता दें कि अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे भारत चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।