केन्द्र सरकार ने मंगलवार से अनुसूचित जाति और जनजाति संसोधन एक्ट लागू करेगी। केन्द्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री थावरचंद गहलोत ने इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी दी। इस एक्ट के लागू होने पर एससी एसटी के खिलाफ अपराध का दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा मिलेगी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने एक जनवरी को इसे मंजूरी दी थी। लेकिन एक्ट को लागू करने वाले नियमों की अनुपस्थिति में इसे नोटिफाई नहीं किया गया था। हालांकि अभी भी नियम बनाए जा रहे हैं लेकिन हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र की आत्महत्या के बाद उपजे असंतोष का सामना करने के लिए सरकार इसे लागू कर रही है।
गहलोत ने बताया कि, ‘नए रूप में एक्ट 26 जनवरी से लागू हो रहा है। हमने इसमें इस तरह से सुधार किया है कि कई प्रकार के अत्याचारों को रोका जा सके। सजा भी कड़ी कर दी गई है। नए नियमों के बनने में एक महीना और लग जाएगा लेकिन पुराने नियमों के साथ भी नया कानून मंगलवार से लागू हो जाएगा। शादी को रोकना, चेहरे पर कालिख पोतना, गांव में महिला को नग्न घूमना जैसे अत्याचारों को अब इस तरह से जोड़ा गया है कि सुरक्षा का दायरा मजबूत हुआ है।’ नए कानून के चलते एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों की श्रेणी को बढ़ाया गया है और नए अपराध जोड़े गए हैं। नए अपराधों में एससी/एसटी व्यक्ति को जूतों की माला पहनाना, एससी/एसटी व्यक्ति के खिलाफ गलत या मिथ्या आरोप लगाना, सरकारी अधिकारी को एससी/एसटी व्यक्ति के खिलाफ झूठी जानकारी देना और कार्रवाई के लिए जोर डालना, एससी/एसटी के खिलाफ गलत भावनाएं फैलाना, सामाजिक बहिष्कार लागू करना या चेतावनी देना शामिल हैं।
गौरतलब है कि इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी थी कि केन्द्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और हैदराबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पी अप्पा राव के खिलाफ रोहित वेमुला खुदकुशी केस में एफआईआर दर्ज की गई लेकिन नए कानून के तहत उन पर मामला दर्ज नहीं हुआ। क्योंकि इस कानून को नोटिफाई नहीं किया गया। उनके खिलाफ जो धाराएं लगाई हैं वे गैर जमानती है और पुलिस बिना वारंट के भी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर नए कानून को नोटिफाई किया गया होता तो मंत्री और अन्य लोगों के खिलाफ ज्यादा धाराएं लगाई जा सकती थी।

