केंद्र सरकार जल संकट से निपटने के लिए अपने वादे पर काम कर शुरू करने जा रही है। सरकार की तरफ से देश में पानी की कमी से जूझ रहे 255 जिलों में 1 जुलाई से जल शक्ति अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें वर्षा के पानी के संचय और संरक्षण के प्रयास किए जाएंगे।
भले ही पानी राज्य सरकार का मुद्दा है लेकिन इस अभियान में 800 आईएएस अधिकारियों की भी मदद ली जाएगी। इसमें संयुक्त सचिव से लेकर अतिरिक्त सचिव रैंक तक के अधिकारी शामिल होंगे। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार जल शक्ति अभियान में स्पेस, पेट्रोलियम और डिफेंस से भी अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न मंत्रालयों के 550 डिप्टी सेक्रेटरी भी अपने-अपने हिस्से में मिले जिला व ब्लॉक का दौरा करेंगे।
यह अभियान ग्राम स्वराज अभियान की तर्ज पर ही होगा जिसमें केंद्रीय अधिकारी देश के 117 जिलों में फ्लैगशिप डेवलपमेंट स्कीम के क्रियान्वयन की निगरानी करते हैं। जल शक्ति अभियान 1 जुलाई से सिंतबर तक राज्यों में चलेगा। इसमें दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा के जल संचयन पर फोकस होगा। 1 अक्तूबर से 30 नवंबर तक वहीं उत्तर पूर्व मानसून वाले राज्य इसमें शामिल होंगे।
कुल मिलाकर गंभीर रूप से जल स्तर की कमी वाले 313 ब्लॉक इसमें शामिल किए जाएंगे। इसमें 1186 ब्लॉक ऐसे हैं जहां भूजल का बहुत अधिक दोहन हुआ है। जबकि 94 जिले ऐसे हैं जहां भूजल स्तर की उपलब्धता कम है। जल शक्ति अभियान का लक्ष्य वर्षा के जल संचयन व संरक्षण को बढ़ावा देना है। बोरेवेल रिचार्ज संबंधी गतिविधियां पहले से ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के तहत चल रही हैं।
जल शक्ति और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों को मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये रियल टाइम मॉनिटर किया जाएगा। इसे indiawater.gov.in के डैशबोर्ड पर देखा जा सकेगा। इस योजना के तहत ब्लॉक और जिला स्तर पर जल संरक्षण योजना का मसौदा तैयार किया जाएगा।
किसान विज्ञान केंद्र बेहतर फसलों का चुनाव करने और सिंचाई के लिए जल का बेहतर तरीके से प्रयोग करने के लिए मेले का आयोजन करेगा। इसके अलावा टीवी, रेडियो, प्रिंट, लोकल और सोशल मीडिया के जरिये भी कम्यूनिकेशन कैंपेन चलाए जाएंगे।