केंद्र ने शुक्रावार (11 नवंबर) को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उसने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 77 नामों में से 34 को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ को यह भी जानकारी दी कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश से संबंधित एक भी फाइल फिलहाल उसके पास लंबित नहीं है। केंद्र की तरफ से उपस्थित अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा, ‘‘कुल 77 नामों में से 34 नामों को नियुक्ति के लिए हरी झंडी दे दी गई है और शेष 43 सिफारिशों को पुनर्विचार के लिए शीर्ष अदालत कॉलेजियम को वापस भेज दिया गया है।’’
रोहतगी ने कहा कि केंद्र ने पहले ही इस साल तीन अगस्त को कॉलेजियम को विचार के लिए मेमोरेंडम ऑ प्रोसीजर का नया मसौदा (एमओपी) भेजा था लेकिन अब तक सरकार को कोई जवाब नहीं मिला है। पीठ ने तब कहा कि वह कॉलेजियम की 15 नवंबर को बैठक बुलाएगी। कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के अलावा शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।
पीठ ने 1971 के युद्ध में हिस्सा ले चुके लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल कबोतरा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख अब 19 नवंबर को निर्धारित की है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों में विलंब के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि समूची संस्था को ठप नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा था कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिए जाने की वजह से नियुक्ति प्रक्रिया को ‘रोका नहीं’ जा सकता।। अदालत ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित फाइलों पर विचार करने में धीमी प्रगति के लिए सरकार की आलोचना करते हुए चेतावनी दी थी कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिवों को तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के लिए तलब कर सकती है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिया जाना नियुक्तियों में विलंब के कारणों में से एक है और पीठ को आश्वासन दिया था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति पर निकट भविष्य में और प्रगति देखने को मिलेगी।
Out of 77 names recommended by Collegium, 34 have been cleared for appointment as HC judges: Centre tells SC
— ANI (@ANI) November 11, 2016