केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गंगा नदी के गंदे पानी को उपचारित करके उससे कमाई करने का विचार कर रही है। इसको लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि सरकार गंगा नदी से निकाले गए सीवेज के उपचारित पानी को बेचना शुरू करेगी। अधिकारी का कहना है कि सरकार जल्द ही इसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को बेचना शुरू कर देगी।
बता दें कि रोजाना गंगा तट से करीब 12 हजार लाख लीटर (MLD) सीवेज पानी निकलता है। स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि एक माह में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को इस पानी की आपूर्ति शुरू करने के साथ इस उपचारित पानी की बिक्री शुरू हो जाएगी।
डीजी अशोक कुमार ने कहा कि मथुरा से इस परियोजना की शुरुआत होगी। जिसके तहत आईओसीएल को 20 एमएलडी शोधित जल दिया जाएगा। शोधित जल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की आवश्यकता के अनुसार मथुरा शोधन संयंत्र (एसटीपी) से दिया जाएगा। वहां आईओसी की रिफाइनरी है।
अधिकारी ने कहा कि ऐसा देश में पहली बार होगा कि जब कोई तेल रिफाइनरी शोधित जल का उपयोग करेगी। उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि एक महीने में हम इस परियोजना को शुरू करने में सक्षम होंगे।
उन्होंने जानकारी दी कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) में गंगा से निकाला गया गंदा व सीवेज का पानी उपचारित होता है। इसके बाद इसे उद्योगों को बेचा जा सकता है। अशोक कुमार के मुताबिक उपचारित पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए किया जा सकता है। उद्योगों में भी इसका प्रयोग हो सकता है। गंदे पानी के ट्रीटमेंट के बाद इसके उद्योगों में इस्तेमाल से नदियों के अच्छे व साफ पानी का उपयोग कम होगा।
गौरतलब है कि गंगा नदी की सफाई के लिए मोदी सरकार ने सत्ता में आने के एक साल बाद 2015 में ‘नमामी गंगे’ मिशन शुरू किया था। इसका मकसद गंगा नदी के पानी को शुद्ध और इसके लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं का एकीकरण करना है। इस कार्यक्रम के तहत 30,255 करोड़ रुपये की लागत से कुल 347 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।