इस साल 10 मार्च को टेस्ट में कॉम्बिफ्लाम दवाई के फेल हो जाने के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अपने सभी ऑफिसों में इस दवा पर कड़ी नजर रखने को कहा है। उनसे यह भी कहा गया है कि दवा को दुकानों तक ना पहुंचने दिया जाए और अगर ऐसी कोई मूवमेंट नजर आती है तो जरूरी कार्रवाई की जाए। CDSCO पश्चिम जोन के डिप्टी ड्रग्स कंट्रोलर (इंडिया) के बंगारुरंजन ने 16 मार्च को लिखे एक पत्र में कहा, “आपसे राज्य में इस दवा के आंदोलन पर मजबूत सतर्कता बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत अपने निरीक्षणालय के कर्मचारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया गया है। इस दवा की अगर कोई भी गतिविधी नजर आती है तो जरूरी कदम उठाया जाए और जल्द से जल्द CDSCO को सूचित किया जाए।”
यह पत्र सीडीएससीओ के जोनल और सब-जोनल कार्यालयों में भेजा गया था, साथ ही वेस्ट जोन (छत्तीसगढ़, गोवा, दमन व दीव, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) के अंतर्गत आने वाली स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी भेजी गई। देश में दवा नियंत्रण का काम सीडीएससीओ के साथ-साथ स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी भी करती है। गोवा की स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अभी तक यह साफ नहीं है कि गतिविधी नजर आने पर क्या कार्रवाई करनी है।
बता दें कि 10 मार्च को अक्टूबर 2015 में बना कॉम्बिफ्लाम का बैच नंबर A151195 सीडीएससीओ के विघटन परीक्षण में फेल हो गया था। इस टेस्ट में यह जांच की जाती है कि टेबलेट का रक्त प्रवाह (blood stream) में पूरी तरह से विघटित होने में जो समय लग रहा है वो निर्धारित सीमा में है या नहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉम्बिफ्लाम की एक साल की बिक्री 169.2 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। यह दवा भारत में पिछले 25 सालों से इस्तेमाल की जा रही है। यह अपनी कैटगरी में सबसे ऊपर है और 50 फीसदी मार्केट शेयर पर इसका कब्जा है।
