भारी हंगामे और कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के वाकआउट के बीच लोकसभा में मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हुई। जिसमें प्रावधान किया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुख के चयन में संबंधित चयन समिति के तीन सदस्यों में से किसी एक की अनुपस्थिति से चयन की प्रक्रिया बाधित नहीं होगी। सरकार ने इसमें स्पष्ट किया कि इसके पीछे उसकी कोई छुपी मंशा नहीं है। कार्मिक और प्रशिक्षण राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना ( संशोधन ) विधेयक 2014’ विचार के लिए पेश किया।
मंत्री ने कहा कि अधिनियम में बदलाव यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि सीबीआइ निदेशक के चयन का महत्त्वपूर्ण फैसला केवल इस वजह से बाधित न हो कि चयन समिति के तीन सदस्यों में से कोई एक सदस्य मौजूद नहीं है। तकनीकी दुविधा उत्पन्न होने के चलते यह संशोधन विधेयक लाया गया है लेकिन शायद कांग्रेस को भी यह उम्मीद नहीं थी कि कभी ऐसा दिन भी आ सकता है कि उसकी यह हालत होगी कि विपक्ष का नेता बनने लायक भी उनके पास संख्या बल नहीं हो। सभी दलों और विशेषज्ञों से विचार विमर्श करके यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
उन्होंने कहा -चूंकि विपक्ष सदन में मौजूद नहीं है इसलिए इस विधेयक को मंगलवार को पारित करना उचित नहीं होगा। इसे बुधवार को पारित कराया जाएगा। विपक्षी दलों के विरोध के बीच यह संशोधन विधेयक पेश किया गया। जिन्होंने विधेयक पेश करने में बरती जा रही जल्दबाजी पर सवाल उठाया था। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सपा सदस्यों ने विधेयक के विरोध में सदन से वाकआउट किया। विधेयक को जल्दबाजी में पेश किए जाने के विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि चूंकि सीबीआइ के निदेशक शीघ्र ही रिटायर होने जा रहे हैं इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुना जाना है। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा दो दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।
विधेयक में डीएपीइ अधिनियम की धारा 4 (ए) को संशोधित किए जाने का प्रावधान है । जिससे कि लोकसभा में कोई मान्यता प्राप्त नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की स्थिति में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को सीबीआइ निदेशक की चयन समिति के पैनल में शामिल किया जा सके। अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार सीबीआइ प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उस चयन समिति की सिफारिशों पर करती है जिसमें नेता प्रतिपक्ष,सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत का कोई न्यायाधीश सदस्य होता है।
डीएसपीइ अधिनियम में ये संशोधन इसलिए लाना पड़ा क्योंकि 543 सदस्यीय 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को भी केवल 44 सीटें मिली हैं जो कि नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इससे पूर्व विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विडंबनापूर्ण है कि कांग्रेस विधेयक को पारित कराने में सहयोग नहीं कर रही है जबकि उसी के नेता को सीबीआइ निदेशक का चयन करने वाली समिति में शामिल करने के लिए ही यह विधेयक लाया गया है। इस बार लोकसभा में कांग्रेस सहित किसी दल को जरूरी 55 सीट नहीं मिल पाने के कारण नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला है।
बीजद के तथागत सथपति ने एक संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि सरकार चयन समिति के किसी सदस्य की अनुपस्थिति में सीबीआइ प्रमुख की नियुक्ति को आगे बढ़ा सकती है। इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि चयन समिति के सदस्य यदि किसी कारणवश बैठक में उपस्थित नहीं हो सकें तो उन्हें प्रोक्सी के जरिए वोट डालने की अनुमति होनी चाहिए।