सुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामले में जांच कर रही एनसीबी ने रिया चक्रवर्ती और जाया शाह का फोन जब्त किया है। एनसीबी ने एफआईआर में रिया और शाह को आरोपी बनाया है। एनसीबी ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर और सारा अली खान का भी फोन जब्त किया है जबकि इस मामले में इन लोगों को आरोपी नहीं बनाया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अरोपी ना होने पर भी क्या पुलिस आपका फोन जब्त कर सकती है?

जांच के दायरे में आने वाले लोगों के फोन जब्त हो सकते हैं? अगर आपके मन में यह सवाल है तो इसका जवाब हां है, दरअसल, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर कानून की धारा 102 के तहत पुलिस को यह अधिकार है कि वह उन चीजों को अपने कब्जे में ले ले जिसके तहत पुलिस को जांच में मदद मिल सके।

इस कानून के मुताबिक पुलिस कोई भी ऐसा समाना जब्त कर सकती है जो चोरी का हो या चोरी  का होने का शक हो या फिर पुलिस को लगता हो कि इस चीज का संबंध किसी घटित अपराध से है तो पुलिस ऐसी चीजों को जब्त कर सकती है। तकनीकी तौर पर एनसीबी एक केंद्रीय एजेंसी है लेकिन ये काम पुलिस की तरह ही करती है। हालांकि यह पुलिस से अगल है लेकिन एनडीपीएस एक्ट के तहत एनसीबी को भी यह अधिकार प्राप्त है।

आरोपी ना होने की स्थिति में भी पुलिस ऐसा कर सकती है, सीआरपीसी की धारा 102 पुलिस को मोबाइल / लैपटॉप / निजी डायरी या ऐसा कुछ भी जो उन्हें लगता है कि उन्हें मामले की जांच करने में मदद करेगा जब्त करने की शक्ति देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति आरोपी है या मामले में सिर्फ एक गवाह है जब तक पुलिस का मानना ​​है कि उसके पास कुछ ऐसा है जो जांच में मदद करेगा।

ऐसे में निजता को लेकर क्या है कानून: एक  आईपीएस अधिकारी के मुताबिक यह उम्मीद की जाती है कि  जांच अधिकारी अगर जांच के लिए व्यक्तिगत उपकरण लेता है तो इसे किसी को भी लीक नहीं करना  चाहिए। हालाँकि, अगर किसी को लगता है कि उसका डेटा लीक हो रहा है, तो वह अदालत में जाकर अपनी बात रख सकता है। वह अदालत से एजेंसी को उन जानकारियों को लीक करने से रोकने की अपील कर सकता है  जिससे उसकी बदनामी हो रही हो।