‘कैफे कॉफी डे’ के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ का शव कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रावती नदी में बुधवार को मिला। सिद्धार्थ सोमवार से लापता थे। उनका शव उल्लाल के निकट नदी किनारे आ गया था और स्थानीय मछुआरों ने उसे निकाला।
बेहद कम लोग ही वीजी सिद्धार्थ के बारे में यह बात जानते होंगे कि वह भारत में ‘कॉफी किंग’ के तौर पर जाने जाते हैं। आज उनका ब्रांड कैफे कॉफी डे भारतीय युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है और सबसे खास बात ये है कि यह ब्रांड पूरी तरह से देशी है।
23 साल पहले हुई थी शुरुआतः कैफे कॉफी डे की शुरुआत साल 1996 में करीब 23 साल पहले हुई थी। वीजी सिद्धार्थ ने इससे पहले कभी एन्टरप्रेन्योर बनने के बारे में नहीं सोचा था। यहां तक कि साल 1979 में जब सिद्धार्थ कॉलेज में पढ़ते थे, तो वह वामपंथी राजनीति से जुड़ना चाहते थे। बहरहाल पढ़ाई पूरी करने के बाद वीजी सिद्धार्थ ने जेएम फाइनेंशियल एंड इन्वेस्टमेंट कंसलटेंसी में नौकरी शुरू की।
कुछ समय नौकरी करने के बाद वीजी सिद्धार्थ ने अपने परिवार की मदद से कैफे कॉफी डे की शुरुआत की। कॉफी बिजनेस में उतरने की अहम वजह ये थी कि वीजी सिद्धार्थ के परिवार के पास 10 हजार एकड़ कॉफी फार्म थे।
वीजी सिद्धार्थ ने 1.5 करोड़ रुपए की लागत से उस वक्त बेंगलुरू के सबसे पॉश इलाके ब्रिगेड रोड पर कैफे कॉफी डे का पहला आउटलेट खोला था। आज के समय में कैफे कॉफी डे के देशभर के 209 शहरों में 1500 से भी ज्यादा आउटलेट हैं।
भारत की सबसे बड़ी कॉफी चेनः कैफे कॉफी डे भारत की सबसे बड़ी कॉफी चेन है और अब ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक और मलेशिया में भी कंपनी के आउटलेट हैं। वीजी सिद्धार्थ के पास रिटेल कॉफी आउटलेट होने के साथ ही बड़ी मात्रा में देश में कॉफी फार्म का मालिकाना हक भी है। कैफे कॉफी डे ग्रुप के पास देश के पश्चिमी हिस्से में हजारों एकड़ के कॉफी फार्म हैं।
इन कॉफी फार्म में खास डार्क फोरेस्ट कॉफी बीन्स, अरेबिका बीन्स और रोबस्टा बीन्स उगाए जाते हैं, जो कि कैफे कॉफी डे को ग्राहकों की खास पंसद में शुमार हैं।
इतना ही नहीं कॉफी फार्म में काम करने वाले लोगों का कैफे कॉफी डे ग्रुप खास ध्यान रखता है। इन लोगों के लिए ग्रुप ने कई स्कूल और अस्पताल खोले हैं। साथ ही बुनियादी सुविधाएं देने के मामले में भी ग्रुप अपने कर्मचारियों का खासा ध्यान रखता है।
