उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर एक मस्जिद को लेकर लंबे समय से तनाव, मस्जिद में लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर तनाव और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बजरंग दल के कार्यक्रमों में वृद्धि, दो दिन पहले हिंसक भीड़ द्वारा एक इंस्पेक्टर की मौत की पृष्ठभूमि बनी। नयाबांस गांव स्थित मस्जिद के मैनेजर मोहम्मद सर्फुद्दीन उन चार गिरफ्तार लोगों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ योगेश राज ने गौ-हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। वहीं, बुलंदशहर हिंसा की एक अन्य घटना जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या कर दी गई थी, को लेकर दर्ज एफआईआर में योगेश को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसी मामले में मंगलवार को अन्य चार लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन योगेश अभी भी फरार है।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, योगेश राज ने वर्ष 2016 में रमजान के महीने में मस्जिद में लाउडस्पीकर के उपयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया था और इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। उसने अपनी शिकायत में कहा था कि मस्जिद में लाउड स्पीकर का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि यह एक मदरसा है। पुलिस अधिकारी ने बताया, “तनाव को बढ़ते देख पुलिस ने मस्जिद के अधिकारियों से लाउड स्पीकर उतारने को कहा था। निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए मंदिर के उपर लगे लाउड स्पीकर को भी उतरवा दिया गया था।”

एक स्थानीय व्यक्ति के अनुसार, इस क्षेत्र में 1977 में एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। यह मामला अभी इलाहाबाद कोर्ट में विचाराधीन है। वर्तमान में जिस मस्जिद में नमाज अदा की जा रही है, उससे कुछ ही दूरी पर ध्वस्त मस्जिद का अवशेष दिख सकता है। मस्जिद मैनेजर सर्फुद्दीन के भाई  मोहम्मद हुसैन कहते हैं, “1977 के बाद से इस गांव में हिंदू और मुस्लिम के बीच किसी तरह का तनाव नहीं हुआ है। लेकिन पिछले कुछ सालों में बजरंग दल के उदय और उनके कार्यक्रमों की वजह से  तनाव बढ़ने शुरू हो गए।

पुलिस ने सर्फुद्दीन के अलावा साजिद, आसिफ और नन्हे को भी गौ-हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है। सिटी एसपी प्रवीण रंजन सिंह ने कहा, “सबसे पहले हमने सर्फुद्दीन और साजिद को गिरफ्तार किया। इसके बाद उनकी निशानदेही के आधार पर आसिफ और नन्हे को भी गिरफ्तार किया। हमारे पर प्रर्याप्त सबूत हैं।” एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “योगेश राज की शिकायत के आधार पर हमने जिन लोगों की पहचान की है, वे मस्जिद से जुड़े हुए हैं। साजिद का भी मस्जिद के पास एक प्लॉट है, जिसका उपयोग सामुदायिक कार्यक्रम के लिए किया जाता है।” इनके अलावा सुदैफ चौधरी, इलियास और परवेज के नाम भी एफआईआर में दर्ज है।

गिरफ्तार किए गए सभी चारों आरोपियों को स्थानीय कोर्ट के समक्ष पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जेल जाते समय इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सर्फुद्दीन ने कहा, “मुझे सयाना पुलिस थाने के एक अधिकारी ने यह कहकर बुलाया कि उसका नाम एफआईआर में है। जब मैं वहां गया तो मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। मैंने पुलिस को बताया कि किसी गाय की हत्या नहीं की है और न मैं गांव में मौजूद था। जब यह घटना हुई मैं 50 किलोमीटर दूर इज्जेतमा में शामिल था।”

सर्फुद्दीन के भाई हुसैन कहते हैं, “मुझे यह नहीं पता कि मेरे भाई को आरोपी क्यों बनाया गया है। ऐसा लगता है कि योगेश राज ने जिन लोगों का नाम एफआईआर में लिखवाया है, पुलिस ने सिर्फ उनलोगों को ही गिरफ्तार किया है।” गिरफ्तार किए गए दूसरे नामजद साजिश ने भी बताया, “मैं नयाबांस में कभी ठहरा ही नहीं हूं। मैं फरीदाबाद में रहता हूं। गौ-हत्या के मामले में मेरी किसी तरह की भूमिका नहीं है।” पुलिस ने गौ-हत्या के मामले में नामजद दो नाबालिगों को भी थाने बुलाया। इसमें से एक की उम्र 11 साल और दूसरे की 12 साल है।

दस्तावेज यह दिखाते हैं कि गौ-हत्या को लेकर योगेश राज द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत और स्थानीय लोगों के बयान परस्पर विरोधाभाषी हैं। योगेश राज ने अपनी शिकायत में दावा किया कि महाव गांव में सर्फुद्दीन और उसके सहयोगियों द्वारा जिस समय गौ-हत्या की जा रही थी, वह उसने अपनी आंखों से देखा। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सुबह में वे खेतों में गए वहां गौवंश के अवशेष देखे। योगेश ने बुधवार को जो वीडियो शेयर किए हैं, उसमें भी दावा किया कि, “वे गौवंश के अवशेष मिलने की सूचना के बाद महाव पहुंचे।”

नयाबांस गांव के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी पहचान का खुलासा न करने की शर्त पर बताया कि, “योगेश राज के नेतृत्व में बजरंग दल की रैलियां निकलती है। उत्तेजक नारे लगाए जाते हैं। हथियारों का प्रदर्शन भी किया जाता है। स्थानीय थाने में कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, योगेश के पिता एक अच्छे आदमी थे। हमारे साथ उनके अच्छे संबंध थे। लेकिन योगेश ने गांव की शांति को खत्म कर दिया है।”