Minority Budget: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को रिकॉर्ड सातवां बजट पेश किया। गठबंधन राजनीति की मजबूरियों से निपटने और नौकरियों को लेकर तनावपूर्ण भावनाओं को शांत करने के बारे में अधिक था, न कि बड़े विचारों या साहसिक सुधारों के बारे में जो तीसरे कार्यकाल में सरकार के पांच साल के पाठ्यक्रम को आकार दे सकते थे। अपने 82 मिनट के बजट भाषण में सीतारमण ने एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप से लेकर छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए ऋण गारंटी और व्यक्तिगत आयकर दरों में बदलाव तक कई पहलों की घोषणा की। इतना ही नहीं बजट में मोदी सरकार का फोकस अल्पसंख्यक समुदाय पर भी रहा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी की है। मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में इस बार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए कुल 3183.24 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया है, जो पिछले बजट की तुलना में 574.31 करोड़ रुपये अधिक है।
वित्त मंत्री ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए इस वर्ष बजट में 3,183.24 करोड़ रुपये देने का प्रावधान रखा है, जिसमें मंत्रालय की प्रमुख स्कीम के लिए कुल 2120.72 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ के लिए इस बार 910.90 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया गया है।
मोदी सरकार के द्वारा दिए गए 3183.24 करोड़ रुपये के बजट में 1575.72 करोड़ रुपये अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए रखा गया है। अल्पसंख्यक समुदाय के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए बजट में 326.16 करोड़ रुपये आंवटित किया गया है। साथ ही मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 1145.38 करोड़ रुपये दिए हैं।
केंद्र की मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में मंत्रालय के लिए 3097.60 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया था। हालांकि, संशोधित बजट में यह राशि 2608.93 करोड़ रुपये हो गई थी। सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को 3183.24 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया है, जो 574.31 करोड़ रुपये अधिक है।
मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ा है, लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार 2014 में आने के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय पर मेहरबान नजर आ रही थी, उसमें कमी जरूर आई है। यूपीए सरकार से तुलना करेंगे तो उस लिहाज से एक हजार करोड़ की अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बढ़ोतरी दिखेगी, लेकिन मोदी सरकार के 2014 से लेकर 2024 तक किए गए बजट के लिहाज से देखें तो उस लिहाज से कमी नजर आएगी।