उच्चतम न्यायालय ने काले हिरण के शिकार पर निचली अदालत से अभिनेता सलमान खान को मिली पांच साल की कैद की सजा निलंबित रखने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को आज निरस्त कर दिया।
न्यायमूर्ति एसजे मुख्योपाध्याय और न्यायमूर्ति एके गोयल की खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय कानून के मुताबिक खान की याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करेगा।
खंडपीठ ने मामले के गुण-दोषों पर गौर किए बिना और महज उनकी पेशेवराना कारणों से ब्रिटेन की यात्रा के लिए वीजा पाने की राह आसान करने के लिए मेगा स्टार की दोषसिद्धी पर स्थगन लगाने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए पिछले साल पांच नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
सलमान ने कहा था कि अगर उच्च न्यायालय की ओर से उनकी दोषसिद्धी पर स्थगन नहीं लगाया जाता तो उन्हें दिक्कत आती क्योंकि विदेश की यात्रा करने के उनके अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने 12 नवंबर 2013 को इस मामले में 2006 की दोषसिद्धी पर स्थगन लगा दिया था और ब्रिटिश वीजा पाने के लिए उनका मार्ग प्रशस्त कर दिया था।
इससे पहले, अदालत ने इसपर सहमति जताई कि किसी अदाकार के जीवन में उम्र एक अहम कारक होती है और अगर अंतिम आदेश के आने तक उन्हें विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जाती है तो यह उचित नहीं होगा।
ब्रिटिश आव्रजन कानूनों के मुताबिक चार साल से ज्यादा की सजा के लिए दोषी ठहराए जाने वाला व्यक्ति वीजा के लिए पात्र नहीं होगा। चूंकि सलमान को पांच साल की सजा के साथ दोषी ठहराया गया था, ब्रिटिश दूतावास ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था।
भारतीय दोषियों के पासपोर्ट पर ‘‘दोषी’’ शब्द के साथ मुहर लगायी जाती है ।
काला हिरण संरक्षित प्राणी है और उसका शिकार करना एक दंडनीय अपराध है।