दिनों-दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही रिकॉर्डतोड़ बढ़ोत्तरी पर भाजपा ने अपना पक्ष रखा है। भाजपा के प्रवक्ता नलिन कोहली ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए बयान में ये कहा है कि जब भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ती हैं राज्यों को फायदा पहुंचता है। कोहली ने यह भी कहा कि ये पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की बहस का सही समय है।
समाचार एजेंसी एएनआई से कोहली ने कहा,”वित्त आयोग के अनुसार, 42 फीसदी उत्पाद शुल्क केंद्र के पास आता है। ये वापस राज्यों को भी जाता है और शेष नागरिकों के इस्तेमाल में खर्च किया जाता हैै। अगर राज्य इस बारे में विचार करें तो ये पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा करने के लिए अच्छा समय है।”
What excise comes to the Centre i.e 42% as per finance commission, also goes back to states and the rest is used for citizens. If states think about it, this is a good time to bring a discussion about the inclusion of petroleum products in GST: Nalin Kohli, BJP
— ANI (@ANI) September 4, 2018
कोहली ने अपने बयान में यह भी कहा कि तेल की बढ़ती कीमतों राज्यों के हित में है। उन्होंने कहा,”पेट्रोलियम उत्पादों में बढ़ोत्तरी का कारण सबको पता है। डॉलर की मजबूती और रुपये की कीमतों में गिरावट सिर्फ अकेला कारण नहीं है, इसके कई बाहरी कारण भी हैं। ये बढ़िया मौका है कि जब कीमतें ऊपर जा रही हैं तो राज्य वैट, सेल्स टैक्स और विभिन्न करों के जरिए वसूली कर रहा है। नतीजतन जब कीमतें ऊपर जाती हैं तो राज्यों को फायदा पहुंचता है।”
आपको बता दें कि तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से सरकार का खजाना तेजी से भर रहा है। कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से 2017-18 के बीच सरकार के खजाने में तेल की बिक्री से करीब 14.88 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि साल 2015-16 में तेल की बिक्री से केंद्र सरकार के खजाने में 2.53 लाख करोड़ रुपये जाते थे और राज्य सरकारों के खजाने में 1.60 लाख करोड़ रुपये जाते थे।
साल 2017-18 में केंद्र के खजाने में तेल की बिक्री से 3.43 लाख करोड़ और राज्य सरकार के खातों में 2.09 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं। साल 2016-17 में केंद्र सरकार को 3.34 लाख करोड़ और राज्य सरकारों को 1.89 लाख करोड़ रुपये की कमाई पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से हुई है। यानी दो सालों में सरकारों के खजाने में करीब 15 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं, ये हालात तब हैं जब आम आदमी तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान है।