बिजनौर के पेद्दा गांव में शुक्रवार को गोलियां तड़तड़ाने से पहले पुलिस और स्थानीय विधायक को सूचना देने की कोशिश की गई थी। पेद्दा के नजदीक गोकलपुर गांव के प्रधान पति अनीस अहमद (38) ने पुलिस कंट्रोल रूम, स्थानीय विधायक, डीएम समेत जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को 12 कॉल की थीं, मगर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। फायरिंग शुरू होने के आधे घंटे पहले अहमद ने फोन करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जब हथियारों से लैस करीब 100 जाट पहुंच गए, तब वे मौके पर ही मौजूद थे। उनमें से कुछ ने बाद में एक मुस्लिम परिवार पर गोलियां दागीं, जिससे परिवार के तीन सदस्य मारे गए और 12 अन्य घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, बात तब बढ़ गई जब शुक्रवार सुबह कुछ मुस्लिम लड़कियों से छेड़खानी की गई। मरने वालों की पहचान हसीनुद्दीन (50), सरफराज (17) और एहसान (36) के रूप में हुई है।
अहमद का फोन दिखाता है कि सुबह 8:03 बजे पुलिस कंट्रोल रूम, 100 को फोन किया गया, उनका कहना है कि फोन नहीं उठा। 8:07 बजे, उन्होंने उसी नंबर पर फिर फोन किया। अहमद ने कहा, ”पहली तीन कॉल पर कोई जवाब नहीं मिला। चौथी काॅल पर ऑपरेटर ने कहा कि वह मुझे सुन नहीं पा रहा। अगली कॉल पर उसने कहा कि वह देखेगा कि वह क्या कर सकता है।” अहमद ने पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी संपर्क साधने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ”मैंने एसएसपी, एसपी सिटी, डीएम और विधायक को कॉल किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।” तब तक हालात खराब हो चुके थे। अहमद के मुताबिक, ”मैं एक पुलिसवाले, सब इंस्पेक्टर अनुराग चौधरी को जानता हूं जो कि हमारे क्षेत्र के इंचार्ज हैं। मैंने उन्हें कॉल किया और पूरी बात बताई, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मैंने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और उनसे मिलने गया, लेकिन वापस लौटते वक्त चौधरी को गैरकानूनी ढंग से बालू ले जाता हुआ एक शख्स मिला। वे उससे पूछताछ करने लगे। मैं गांव में स्थिति की गंभीरता के बारे में समझान की कोशिश की, मगर उन्होंने नहीं सुना।”
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जब तक अहमद और चौधरी गांव तक पहुंचते, हिंसा शुरू हो चुकी थी। एसपी सिटी एमएम बेग ने कहा कि उन्हें फोन आया था लेकिन उन्होंने दावा किया कि वह इसलिए फोन नहीं उठा पाए क्योंकि वह ”व्यस्त थे।”