पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक वाल्मिकी महिला के घर पर ‘ये मकान बिकाऊ है’ लिखने के मामले में पुलिस ने दो पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किया है। दूसरी तरफ पीड़ित वाल्मिकी परिवार की महिला का कहना है कि पुलिसवालों ने धमकाकर मुकदमे में पत्रकारों का नाम घसीटा है।
मामला बिजनौर के तितरवाला बसी गांव में एक वाल्मिकी परिवार को गांव के हैंडपंप से पानी नहीं भरने देने की खबर को प्रकाशित करने का है। आरोप है कि दलित बहुल गांव वालों ने वाल्मिकी परिवार को गांव के हैंडपंप से पानी भरने से रोक दिया। इतना ही नहीं पानी भरने गए महिला लोकेश देवी वाल्मिकी के बेटे को भगा दिया।
इसके बाद जब उसकी 17 साल की बेटी गई तो उससे मारपीट की और उसके कपड़े भी फाड़ दिए। इसके बाद पीड़ित परिवार ने मंडावर थाने में शिकायत दी। पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि, उन लोगों को 24 घंटे के भीतर ही छोड़ दिया गया। महिला ने कहा कि मेरी बेटी को बेइज्जत करने वाला अभी भी गांव में खुला घूम रहा है।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने अपने घर पर ‘मकान बिकाऊ है’ लिखने के बाद इंसाफ नहीं मिलने की सूरत में गांव छोड़ने की धमकी दी। स्थानीय पत्रकारों की तरफ से इस आशय की खबर प्रकाशित करने के बाद पुलिस ने इस मामले में दो स्थानीय पत्रकारों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
पीड़ित परिवार की महिला लोकेश देवी वाल्मिकी ने बताया कि वह गांव में अपने चार बच्चों के साथ रहती है। गांव को लोगों द्वारा पानी नहीं भरने देने के बाद उसने पत्रकारों से संपर्क किया था। एफआईआर रिकॉर्ड के अनुसार, ‘लोकेश देवी ने बताया कि पत्रकारों ने उसके घर पर ‘मकान बिकाऊ है’ यह कहते हुए लिख दिया कि इससे उसे न्याय मिलने में मदद मिलेगी। मैंने उन लोगों से ऐसा नहीं करने को कहा लेकिन वे नहीं माने और उन्होंने इसकी फोटो ली और वीडियो भी बनाया।’
महिला लोकेश देवी का कहना है कि उसने डर के मारे ऐसा कहा था क्योंकि पुलिस का कहना था कि जिसने भी यह लिखा है वह जेल जाएगा। हालांकि, हमने ही वो ‘मकान बिकाऊ है’ लिखा था और अभी भी हम न्याय नहीं मिलने की सूरत में गांव छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।