मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव सितंबर अक्तूबर में होंगे। हालांकि जैदी ने अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया है।

जैदी ने बताया कि चुनाव आयोग ने सभी विधानसभा क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में रखने का कार्य शुरू किया है। जहां चुनाव आयोग को सबसे अधिक संवेदनशीलता नजर आएगी, वहां उसकी समय से पहले केंद्रीय बलों की तैनाती की योजना है।

उन्होंने कहा, ‘‘…हम इस बार उन व्यक्तियों की पहचान करेंगे जो रिश्वत देने या शराब बांटने या उपहार बांटने के चैनल के रूप में काम करेंगे। यह आकलन अब भी चल रहा है और हमें नयी रणनीति वाली व्यय निगरानी प्रणाली जल्द आने की उम्मीद है जिसे हम उपयुक्त समय पर जारी करेंगे।’’

उन्होंने बताया कि आयोग 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 36 में वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रैल (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल करेगा। वैसे ऐसे विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़ सकती है।

वीवीएपीएटी मतपत्ररहित मतदान प्रणाली का इस्तेमाल करने वाले मतदाता को फीडबैक उपलब्ध कराने की प्रविधि है। ईवीएम में एक छोटा सा उपकरण होगा जो वांछित उम्मीदवार के लिए बटन दबाने के बाद उस नाम को कागज पर प्रिंट कर दे देगा।

जैदी ने कहा कि बिहार के कई हिस्सों पर असर डाल रहे वामचरमपंथ को ध्यान में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का आकलन भी चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि यह अकेला चुनाव है, मैं आशा करता हूं कि पर्याप्त अर्धसैनिक बल उपलब्ध होंगे। हम इस पर रणनीति बनायेंगे।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कंपनियों के संदर्भ में अर्धसैन्य कर्मियों की संख्या बता सकते हैं तो उन्होंने कहा कि उपयुक्त समय पर आयोग नंबर बताएगा।

जैदी ने कहा, ‘‘एकमात्र बात, जो मैं कह सकता हूं वह यह कि सीपीएमएफ का बहुत प्रभावी इस्तेमाल होगा, क्योंकि उस समय बस एक ही राज्य में विधानसभा चुनाव है। पर्याप्त संख्या में (अर्धसैनिक) बल उपलब्ध होंगे।’’

भारत में चुनाव कराने की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस साल आयोग के सामने बस बिहार है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं कह सकूं तो इसे सभी चुनावों की जननी कहा जाता है।’’ उन्होंने कहा कि बिहार जैसे कुछ राज्यों में बड़ी चुनौतियों के तीन चार क्षेत्र हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘‘….हमें यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि मतदाताओं की अधिकाधिक भागीदारी हो और इसके साथ ये भी तथ्य हैं कि इन चुनौतीपूर्ण राज्यों में से कुछ में चुनाव स्वतंत्र हों…… मतलब हमारे मतदाताओं को डराया धमकाया नहीं जाए, उन्हें यातनाएं नहीं दी जाएं…..’’

उन्होंने कहा, ‘‘वैसे बाहुबल कमोबेश गायब हो गया है। (लेकिन) वह एक बड़ी चुनौती है जिसका हम बिहार में सामना करेंगे जहां पारंपरिक रूप से कम मतदान भी होता है। पिछले चुनाव में बस 52 फीसदी मतदान हुआ था।’’

जैदी ने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण चुनौती धनबल के इस्तेमाल पर अंकुश लगाना है। मतदाताओं को रिश्वत, उपहार देना, उनके बीच नशीली वस्तुएं एवं शराब बांटना धनबल के इस्तेमाल के रूप हैं।

उन्होंने पेडन्यूज को एक रोग करार देते हुए कहा कि यह धनबल के इस्तेमाल का एक अन्य रूप है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों में हम चुनाव कराएंगे, हमें इन समस्याओं से दो चार होना होगा। बिहार में ये सारी समस्याएं हैं।’’

एक सवाल का जवाब देते हुए जैदी ने कहा कि बिहार चुनाव का निर्धारित समय 29 नवंबर है यानी उस तारीख तक विधानसभा का कार्यकाल है। संविधान के तहत चुनाव उस तारीख से पहले छह महीने में कभी भी कराये जा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले उदाहरणों को देखें तो उस हिसाब से चुनाव सितंबर या अक्तूबर में होंगे। लेकिन सटीक तारीखें हमें तय करना बाकी है।’’

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पहले ही कई कदम उठाए हैं। बाईस अप्रैल को चुनाव आयोग ने उपचुनाव आयुक्तों एवं महानिदेशक (व्यय निगरानी) को जमीनी स्तर के प्रारंभिक मूल्यांकन कार्य में लगाया था।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार चुनाव का पहला और सबसे महत्वपूर्ण काम ऐसी मतदाता सूचियां तैयार करना होगा जो त्रुटिरहित हो और जिनमें (एक ही व्यक्ति की) कई प्रविष्टियां न हों। हमने 15 मई से 15 जुलाई तक के लिए विशेष समीक्षा शुरू की है।’’

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि विशेष समीक्षा के लिए राज्य चुनाव मशीनरी ने मतदान केंद्रों तक पहुंचने के विस्तृत अभ्यास के लिए कदम उठाए हैं।

बड़ी संख्या में बहुप्रविष्टियों की आशंका प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि घर घर जाकर उनका सत्यापन किया जाएगा और उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद उन्हें सूची से निकाल दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन साथ ही हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सूची से निकाले गए व्यक्तियों के नाम राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराए जाएं ताकि वे अपना काम करें एवं वेबसाइट पर डाले जाएं तथा ग्रामसभा स्तर पर पढ़कर सुनाया जाए।’’

जैदी ने कहा कि मतदाता सूची समीक्षा के दौरान चुनाव अधिकारी 24 मई को और जून के पहले सप्ताह में विशेष कैंप लगायेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अंतत:कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद अंतिम सूची इस साल 31 जुलाई को जारी की जाएगी।’’

उन्होंने बताया कि बहुप्रविष्टियों का पता लगाने के लिए अब छाया मूल्यांकन सॉफ्टवेयर भी लगाए गए हैं और उसका बिहार में भी इस्तेमाल किया जाएगा।