विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के बीच आम सहमति की राजनीति का सूत्रपात करने और व्यापक राष्ट्रीय फलक पर अपनी स्वीकार्यता कायम करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वर्गीय महामना मदन मोहन मालवीय को बुधवार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई। इस सम्मान की घोषणा गुरुवार को वाजपेयी के 90वें जन्मदिन से पूर्व की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक-राष्ट्रपति बेहद हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।

1998 से 2004 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अपनी उम्र संबंधी अस्वस्थता के कारण पिछले कुछ समय से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। उन्हें एक महान राजनेता और अक्सर भाजपा का उदारवादी चेहरा कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की घोषणा पर खुशी जताई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जाना बेहद खुशी की बात है। इन महान विभूतियों को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाना राष्ट्र सेवा में उनके योगदान को उचित मान्यता है। अटलजी हर किसी के प्रिय हैं। एक पथप्रदर्शक, एक प्रेरणा और दिग्गजों के बीच दिग्गज हैं। भारत के प्रति उनका योगदान अतुलनीय है।

मोदी ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय को एक असाधारण विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों के बीच में राष्ट्रचेतना की ज्योति प्रज्जवलित की। वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है। जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को कम करने का उनका प्रयास प्रमुख रूप से शामिल है। वाजपेयी को देश के महान वक्ताओं में से एक बताते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और दक्षिणपूर्वी एशिया में शांति के प्रति प्रतिबद्ध रहे।

मुरली मनोहर जोशी जैसे भाजपा के कई नेता और सांसद वाजपेयी को यह शीर्ष सम्मान दिए जाने की मांग करते आ रहे थे। राजग की सहयोगी शिवसेना ने भी उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का समर्थन किया था। वाजपेयी कांग्रेस पार्टी से बाहर के पहले ऐसे नेता हैं जो सबसे अधिक लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। वाजपेयी के आलोचक उन्हें संघ का मुखौटा मानते हैं।

उधर दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है। 25 दिसंबर 1861 को जन्मे मदन मोहन मालवीय 1886 में कोलकाता में कांग्रेस के दूसरे सत्र में अपने पहले विचारोत्तेजक भाषण के तुरंत बाद ही राजनीति में आ गए थे। वे 1909 से 1918 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी याद किया जाता है।

वे दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के शुरुआती नेताओं में से एक थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्रपति से इन दोनों महान हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित करने का आग्रह किया था। इस पुरस्कार के लिए कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है। पिछले साल जब यूपीए सरकार ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर व वैज्ञानिक सीनआर राव को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की थी तो राष्ट्र के प्रति वाजपेयी के योगदान को अनदेखा करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की गई थी।