देश में बीयर कंपनियां गायों के चारे का इंतजाम करने में अपना योगदान दे रही हैं। दरअसल ये कंपनियां इस्तेमाल किए गए अनाज को किसानों को बेहद ही कम कीमतों पर दे रही हैं। बता दें कि बीयर का निर्माण अनाज से किया जाता है और बीयर बनने के बाद उससे जो अनाज बचता है, वह पशुओं के चारे के रुप में इस्तेमाल किया जा सकता है। देश की टॉप बीयर कंपनी Anheuser-Busch InBev, United Breweries और क्राफ्ट बीयर कंपनियां इसी तरह गायों को चारा बेहद न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध करा रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, AB InBev के दक्षिण एशिया प्रमुख बेन वर्हार्ट ने बताया कि ‘बीते साल हमने हर दिन 7000 किलो के करीब बचा हुआ माल्ट (इस्तेमाल किया हुआ अनाज) बेहद की कम कीमत पर किसानों को दिया था।’ वर्हार्ट ने बताया कि उनकी तेलंगाना ब्रेवरी से सबसे ज्यादा बचा हुआ अनाज किसानों को दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान और हाल ही में उत्तर प्रदेश में सरकारों ने बीयर और भारत में बनने वाली विदेशी शराब (IMFL) पर सेस लगा दिया है। इस सेस से मिले पैसे को आवारा पशुओं को शेल्टर और चारा मुहैय्या कराने में इस्तेमाल किया जाएगा। उपरोक्त राज्यों में बीयर की बोतल पर 50 पैसे और IMFL पर 2 रुपए प्रति बोतल की दर से टैक्स लगाया गया है। वहीं एक बार में एक बीयर की बोतल पर यह टैक्स 5 रुपए और IMFL पर 10 रुपए है। बता दें कि बीयर बनाने के बाद बचा अनाज पशुओं के लिए बेहद ही लाभदायक चारा माना जाता है।
दुनिया में बीयर की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी AB InBev है, जिसके ब्रांड जैसे कि बडवाइजर और कोरोना दुनियाभर में काफी पसंद किए जाते हैं। कंपनी का कहना है कि वह प्रसंस्कृत अनाज की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कुछ प्रयोग कर रहे हैं। मशहूर बीयर हेनकाइन बनाने वाले यूबी ग्रुप के शेखर राममूर्ति का कहना है कि इस्तेमाल किया हुआ अनाज उनके किसी काम का नहीं है। ऐसे देश में जहां कृषि बेहद अहम है, वहां इसे पशुओं के चारे के रुप में बेचने का फैसला काफी अच्छा है। भारत में कृषि सेक्टर काफी बड़ा है और दुनियाभर में तीसरी सबसे ज्यादा बीयर का उत्पादन यहीं पर होता है।