‘मैं आतंकवादी नहीं हूं। मैंने वही किया, जिसकी मेरा धर्म मुझसे उम्मीद करता है। मैंने यह सब सिर्फ गौमाता के लिए किया। हम क्यों ट्रेन में घुसकर बैग सर्च नहीं कर सकते, जबकि हमें बताया गया था बैग में बीफ है?’ मध्य प्रदेश के हरदा डिस्ट्रिक्ट चीफ हेमंत राजपूत (गौरक्षा कमांडो फोर्स) ने जेल से बाहर आने के बाद ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में यह बात कही। आपको बता दें कि हेमंत वही शख्स हैं, जिन्हें हरदा के खिरिकिया स्टेशन पर बीफ के शक में मुस्लिम दंपति के साथ मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 31 साल के हेमंत राजपूत गैराज चलाते हैं और इस मामले में चार दिन जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा हुए हैं।
उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि उन्हें किस बात की सजा दी जा रही है। पुलिस उनके कार्यकर्ताओं के पीछे ऐसे पड़ी है, जैसे उन्होंने कोई आतंकवादी कृत्य को अंजाम दिया हो। हेमंत राजपूत ‘कमांडोज’ के दल का नेतृत्व करते हैं, खुद को गौरक्षक बताता है। वह और उनके ‘कमांडोज’ वाहनों पर छापा मारते हैं, ताकि गौवध न हो। उनका मकसद हिंदुस्तान को ‘गौहत्या’ से मुक्त कराना है। वह कहते हैं कि हमें गाय और हिंदू धर्म की रक्षा करने का पूरा हक है।
हेमंत राजपूत ने बताया कि वह और उनके साथी एक साल पहले ‘कमांडोज’ बने। उन्होंने बताया कि गौवध की अफवाह के बाद 2013 में हुए दंगों की वजह से बजरंग दल कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करना बड़ा मुश्किल हो गया था। पुलिस हिंदू एक्टिविस्टों पर कड़ी नजर रख रही थी और कई बार उनके साथ मारपीट भी की गई थी। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम दंपति के साथ मारपीट मामले में जितने भी लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें से एक पर भी दंगों में शामिल होने का आरोप नहीं है।