ओडिशा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार (तहखाना) 14 जुलाई के बाद आज एक बार फिर खोल दिया जाएगा। यह तहखाना मरम्मत के लिए 46 साल बाद खोला जा रहा है।

तहखाने को खोलने से पहले सुबह 8 बजे ही भक्तों को प्रवेश करने से रोक दिया गया है। तहखाना खोलने से पहले ही ‘आज्ञा’ की रस्म पूरी हो चुकी है। जिसमें रत्न भंडार को पुनः खोलने के लिए मंजूरी मांगी जाती है।

मंदिर में एक बाहरी और एक आंतरिक दो कक्ष हैं। आज आंतरिक कक्ष को खोला जाना है और इससे पहले सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। ASI की टीम ने मंदिर में प्रवेश कर लिया है और प्रक्रिया शुरू हो गई है।

भक्तों की एंट्री बंद

रत्न भंडार (कोषागार) के आंतरिक कक्ष से कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में ट्रांसफर किया जाना है। इसलिए भक्तों की एंट्री बंद कर दी गई है। मंदिर के संरक्षक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण कार्य करने के लिए यह यह जरुरी था कि सबकुछ ट्रांसफर कर दिया जाए। कक्ष को 46 साल बाद 14 जुलाई को भी खोला गया था, ताकि कीमती सामानों की सूची तैयार की जा सके और इसकी संरचना की मरम्मत की जा सके।

डीएम का बयान

श्री जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ के खुलने पर कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “आज ‘भीतर रत्न भंडार’ से सभी कीमती सामान और आभूषणों को सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।”

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बुधवार को कहा, “गुरुवार को रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को फिर से खोलने की व्यवस्था की गई है, इसलिए हमने मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। गुरुवार सुबह 8 बजे के बाद किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।” उन्होंने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों और सेवकों को ही सुबह 8 बजे के बाद मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और गुरुवार को मंदिर का केवल ‘सिंह द्वार’ खुला रहेगा।

हालांकि, लोग भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि वे वर्तमान में मंदिर के बाहर खड़े अपने रथों पर हैं, ऐसा आईएएस अधिकारी पाधी ने कहा। पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर का प्रशासन राज्य सरकार के कानून विभाग के अधीन है।