तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का बीजेपी में विलय को लेकर राज्य में चर्चाएं जोरों पर हैं। बीते कई दिनों से इस मामले को लेकर लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। जिसपर केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार ने साफ करते हुए बता दिया कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। उन्होंने विलय की इस खबर को ही सिरे से खारिज कर दिया।
वहीं बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने भी विलय को लेकर सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि बीआरएस के विलय की झूठी अफवाह जो फैला रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यानी कि इतना तो साफ हो गया है कि दोनों पार्टियों के बीच विलय जैसा कुछ नहीं है क्योंकि दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने विलय की बात को सिरे से खारिज कर दिया है।
10 विधायक बीआरएस छोड़ कांग्रेस में हो चुके हैं शामिल
हालांकि बीआरएस पिछले साल बीते तेलंगाना विधानसभा चुनाव के समय से ही संकट में चल रही है। चुनाव में जहां पार्टी को राज्य की सत्ता गवांनी पड़ी। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में 88 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीआरएस महज 39 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इतना तक तो ठीक था। इसके बाद बीते महीने में बीआरएस के 10 विधायक पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। जिसके बाद बीआरएस की स्थिति राज्य में और भी खस्ता हो गई। वर्तमान में 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में बीआरएस के 28 विधायक बचे हैं। जबकि कांग्रेस के पाले में 75 विधायक हैं। बीजेपी के 8 विधायक हैं।
लोकसभा चुनाव में बीआरएस का नहीं खुल पाया खाता
बीते लोकसभा चुनाव में राज्य की 17 लोकसभा सीटों में बीआरएस खाता तक नहीं खोल पाई। केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी ने 8 सीटें जीती। जबकि कांग्रेस पार्टी ने भी 8 सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं असदुद्दीन ओवैसी के खाते में एक सीट आई थी। राज्य में बीआरएस 2014 से लेकर 2023 तक 10 साल तक सत्ता चलाई थी। लेकिन अब पार्टी के राज्य में एक भी सांसद नहीं है बल्कि विधायकों की संख्या 28 ही रह गई है।
