योग गुरु बाबा रामदेव को नेपाल में 134 हेक्टेयर जमीन मिलने वाली थी लेकिन डील साइन होने से पहले ही अटक गई है। दरअसल, बाबा रामदेव को नेपाल के डंग जिले में आयुर्वेद कॉलेज और हॉस्पिटल खोलने के लिए यह जगह 40 साल के लिए लीज पर मिलने वाली थी। वह जमीन नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी की है। यूनिवर्सिटी 40 साल के लिए रामदेव को जमीन लीज पर देने के लिए तैयार भी हो गई थी लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन के ही एक धड़े ने रामदेव को जमीन देने का विरोध शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन के उन लोगों का कहना है कि यूनिवर्सिटी की जमीन किसी को 10 से ज्यादा साल के लिए लीज पर नहीं दी जा सकती। अब यह मामला और इससे जुड़ी फाइल नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के पास पहुंच गई हैं। उन्हें ही आखिरी फैसला लेना है।

गौरतलब है कि इस वक्त रामदेव का पतंजलि योगपीठ किसी प्राइवेट फर्म के साथ मिलकर नेपाल में ‘हर्बल फार्मिंग’ के विकल्प तलाश रहे हैं। वह प्राइवेट फर्म एक नॉन रेजिडेंट नेपाली की है। जमीन के इस सौदे में सिर्फ रामदेव का ही नाम नहीं आया है। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को लेकर भी विवाद हो रहा है। दरअसल, दोनों रामदेव के पतंजलि योगपीठ प्राइवेट लिमिटिड द्वारा करवाए गए एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। पतंजलि योगपीठ प्राइवेट लिमिटिड के मालिक बिजनेसमैन उपेंद्र मेहतो और उनकी पत्नी डॉ समता प्रसाद हैं।

इस खबर के मीडिया में आने के बाद रामदेव ने साफ किया कि सारा निवेश पतंजलि योगपीठ प्राइवेट लिमिटिड यानि मेहतो द्वारा किया जा रहा है। रामदेव ने यह भी कहा कि आगे जो भी होगा वह नेपाल सरकार के नियमों को मानते हुए किया जाएगा। इससे पहले मीडिया की रपटों में यह दावा किया गया है कि पतंजलि आयुर्वेद समूह ने बिना आधिकारिक मंजूरी के देश में 150 करोड़ रुपए से अधिक निवेश किया। विदेशी निवेश एवं प्रौद्योगिकी स्थानांतरण कानून के तहत यह जरूरी है कि किसी भी विदेशी निवेशक को हिमालयी देश में निवेश से पहले नेपाल निवेश बोर्ड या औद्योगिक विभाग से मंजूरी हासिल करना जरूरी है। अखबार कांतिपुर डेली की रिपोर्ट के मुताबिक रामदेव इस प्रकार की जरूरी मंजूरी लेने में विफल रहे।