दशहरे की छुट्टियों के बाद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक बार फिर शुरू हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि मामले में हिंदू पक्ष से नहीं नहीं बल्कि सिर्फ उन्हीं से ही लगातार सवाल किए जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने यह बात कही।

इसी बीच विवादित स्थल पर अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि साल 1854 से ब्रिटिश सरकार मस्जिद के रखरखाव के लिए अनुदान दे रही थी मगर 1885 से 1989 तक हिंदू पक्षों ने कभी उसपर अपना दावा नहीं किया। उन्होंने कहा कि जहां मस्जिद है वहां मंदिर तोड़े जाने का कोई सबूत नहीं है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को भी जांच में कुछ नहीं मिला। इस बीच जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजीव धवन से पूछा कि वह बाहरी आंगन में हिंदू पक्ष के कब्जे के बारे में क्या कहेंगे। साल 1858 का दस्तावेजी सबूत राम चबूतरे की स्थापना को दर्शाता है। इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा, ‘पूर्वी द्वार से मुस्लिम लगातार आते रहे हैं और एकमात्र अधिकार उनके पास प्रार्थना करने का था और कुछ नहीं।’

उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। धवन ने कहा, ‘माननीय न्यायाधीश ने दूसरे पक्ष से सवाल नहीं पूछे। सारे सवाल सिर्फ हमसे ही किए गए हैं। निश्चित ही हम उनका जवाब देंगे।’ धवन के इस कथन का राम लला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने जोरदार प्रतिवाद किया और कहा, ‘यह पूरी तरह से गैर जरुरी है।’ धवन ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब संविधान पीठ ने कहा कि विवादित स्थल पर लोहे की ग्रिल लगाने का मकसद बाहरी बरामद से भीतरी बरामदे को अलग करना था।

बता दें कि संविधान पीठ ने दशहरा अवकाश के बाद सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी। संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। (भाषा इनपुट)