राम जन्मभूमि मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी पर भड़क गए। दरअसल, जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अदालत में राम जन्मभूमि मामले में सुनवाई चल रही थी, तब कोर्ट रूम के भीतर अगली कतार में स्वामी भी बैठे हुए थे। उन्हें देखते ही राजीव धवन तैस में आ गए। ‘द इंडियन एक्स्प्रेस’ में छपे अपने कॉलम में वरिष्ठ पत्रकार ‘कूमी कपूर’ ने बताया है कि धवन ने जैसे ही सुब्रमण्यम स्वामी को देखा, वह बिगड़ गए और उनसे सीट खाली कराने की मांग की। उनका तर्क था कि चूंकि स्वामी मामले में न तो पक्षकार हैं और न ही वकील हैं। लिहाजा, उन्हें यहां बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
दरअसल, राम जन्मभूमि मामले में सुनवाई के दौरान कोर्टरूम वकीलों से खचाखच भरा रहता है। कूमी कपूर लिखती हैं कि कोर्ट रूम में करीब 30 की संख्या में वकील खड़े ही रहते हैं। लेकिन, जैसे ही राजीव धवन ने सुब्रमण्यम स्वामी को पहली पंक्ति में बैठा पाया तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। कपूर लिखती हैं, “स्वामी को अदालत की पहली पंक्ति में शांत चित्त बैठा देख धवन ने जजों से मांग की कि उन्हें तुरंत उठाया जाए, क्योंकि वह न तो केस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और नहीं वकील हैं।”
धवन ने प्रतिरोध करते हुए कहा कि जब वह संसद भवन गए थे, तो उन्हें विजिटर्स गैलरी में भेजा गया। हालांकि, धवन को जवाब देते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यदि वह राज्यसभा में बैठना चाहते हैं तो उन्हें सांसद बनना चाहिए। गौरतलब है कि राजीव धवन राम जन्मभूमि मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं। केस में बहस के दौरान अक्सर उनके पास कई मारक तर्क होते हैं। जैसे जब विपक्षी दलों के वकील ने कहा कि औरंगजेब के समय से पहले यात्रियों द्वारा बाबर का कोई उल्लेख नहीं मिलता है, इस पर धवन ने जवाब दिया कि मार्को पोलो भी चीन के बारे में लिखते हुए वहां की महान दीवार के बारे में लिखना भूल गए।