छावा फिल्म के बाद मुगल शासक औरंगजेब पर लगातार चर्चा हो रही है। महाराष्ट्र में सपा के विधायक अबु आजमी के बयान के बाद औरंगजेब पर कई नेता अपने-अपने विचार रख चुके हैं। अब कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने औरंगजेब पर बयान दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि औरंगजेब एक निरंकुश शासक थे। कुछ सीमा तक उन्हें धर्मांध बताया जाता है।
हरीश रावत ने कहा, “यह ऐतिहासिक तथ्य है कि औरंगजेब एक निरंकुश शासक था और कुछ हद तक धर्मांध भी था। यह भी एक तथ्य है कि मुगल साम्राज्य का पतन उसकी धार्मिक कट्टरता के कारण ही शुरू हुआ।”
औरंगजेब पर छिड़ी बहस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, ” इस देश में नेताओं ने दूसरों को प्रमाण पत्र देने का अधिकार मान लिया है… कौन किसको प्रमाण पत्र दे रहा है, इस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता। हालांकि, औरंगजेब के बारे में आम धारणा यही है कि वह एक निरंकुश और धर्मनिष शासक था। यह भी एक तथ्य है कि उसके शासनकाल के बाद मुगल साम्राज्य का पतन हो गया। उससे पहले के शासकों ने शासन में सभी को शामिल करने की कोशिश की, लेकिन औरंगजेब की नीतियों ने विभाजन को जन्म दिया…”
बीजेपी ने कांग्रेस और सपा को घेरा
औरंगजेब पर अबु आजमी की टिप्पणी को लेकर बीजेपी ने मंगलवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की। बीजेपी ने कहा कि वे सनातन धर्म का ‘उन्मूलन’ करने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आजमी की टिप्पणी को ‘संपूर्ण भारतीय समाज का अपमान’ करार दिया और आरोप लगाया कि विपक्षी गठबंधन के दल अल्पसंख्यक वोटों की खातिर खुद को हिंदू विरोधी साबित करने के लिए एक-दूसरे के साथ गलाकाट प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं।
अबु आजमी ने औरंगजेब पर क्या कहा?
अबु आजमी ने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमा अफगानिस्तान और बर्मा तक पहुंच गई थी। अबु आजमी ने दावा किया, “हमारा GDP 24% था और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।” अबु आजमी ने औरंगजेब और संभाजी महाराज के बीच मुकाबले के बारे में पूछे जाने पर इसे राजनीतिक लड़ाई करार दिया था।