तेलंगाना के कुछ इलाकों में भूजल में परमाणु बम बनाने समेत अन्य कामों में प्रयोग होने वाले यूरेनियम की मात्रा बढ़कर खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। यह जानकारी एटॉमिक मिनरल्स निदेशालय की तरफ से की गई जांच में सामने आई है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार राज्य के नलगोंडा जिले में स्थिति बेहद चिंताजनक है।

एटॉमिक एनर्जी के अधिकारी ने इस संबंध में सरकारी एजेंसियों को चेतावनी दे दी है। अधिकारियों का कहना है कि लांबापुर-पेड्डागट्टू क्षेत्र के भूजल स्तर में यूरेनियम की सघनता बहुत अधिक है। यह चौंकाने वाले नतीजे उस समय आए हैं जबकि स्थानीय निकाय इकाइयां और राजनीतिक संगठन पहले से ही भूजल में यूरेनियम की सघनता बढ़ने के मामले में चिंता जता चुके हैं।

लांबापुर-पेड्डागट्टू क्षेत्र के पानी में यूरेनियम की मात्रा 2618 पार्ट्स पर बिलियन (पीपीबी) पाई गई जो स्वीकार्य स्तर 30 पीपीबी से कहीं अधिक थी। स्थानीय निकाय इकाइयों और विपक्षी दलों ने नल्लामला जंगल क्षेत्र में यूरेनियम की प्रस्तावित खुदाई के खिलाफ अपना विरोध जताया था। यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) ने तेलंगाना में एक ओपन पिट और तीन भूमिगत खदान शुरू करने की योजना बनाई है।

यूसीआईएल अभी आंध्र प्रदेश में भूमिगत खदानों का संचालन कर रही है। खबर में अटॉमिक ऊर्जा विभाग के शीर्ष अधिकारी के हवाले से बताया गया कि तेलंगाना के लांबापुर-पेड्डागट्टू में अटॉमिक मिनरल्स निदेशालय की तरफ से किए गए सर्वे में पानी में यूरेनियम की सघनता बहुत अधिक है। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि लांबापुर-पेड्डागट्टू क्षेत्र के 8 किलोमीटर के दायरे में कम से कम 30 हजार लोग स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। इन लोगों को किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास किए जाने की आवश्यकता है।

एटॉमिक मिनरल्स निदेशालय ने तेलंगाना में 25 बोरवेल के पानी के सैंपल की जांच की थी। इनमें से सिर्फ 4 बोरवेल के पानी में यूरेनियम की मात्रा स्वीकार्य स्तर पर थी। मालूम हो कि आंध्र प्रदेश के कडपा और तेलंगाना के नलगोंडा में भारी मात्रा में यूरेनियम भंडार होने का पता चला है। लेकिन ये यूरेनियम भंडार भूमिगत जलस्तर के बेहद करीब हैं। पिछले कुछ दशक में किसानों और ग्रामीणों की तरफ से पेयजल और कृषि कार्यों के लिए सैकड़ों बोरवेल की खुदाई हुई है। इस वजह से भूजल में यूरेनियम की सघनता बढ़ गई है।