आम सहमति की राजनीति का सूत्रपात करने और व्यापक राष्ट्रीय फलक पर अपनी स्वीकार्यता कायम करने वाले करिश्माई नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी एवं हिन्दू महासभा नेता महामना मदन मोहन मालवीय को आज देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गयी। इस सम्मान की घोषणा कल वाजपेयी के 90वें जन्मदिन और मालवीय के 153वीं जयंती से पूर्व की गयी है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘ राष्ट्रपति बेहद हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।’’

आज के निर्णय के बाद भारत रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वालों की संख्या 45 हो गई है। पिछले वर्ष क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और वैज्ञानिक सी एन आर राव को इस सम्मान के लिए चुना गया था।

1998 से 2004 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अपनी उम्र संबंधी अस्वस्थता के चलते पिछले कुछ समय से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। उन्हें एक महान राजनेता और अक्सर भाजपा का उदारवादी चेहरा कहा जाता है जिसका विरोधी भी सम्मान करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की घोषणा पर खुशी जताई है।
वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को कम करने का उनका प्रयास, स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। वाजपेयी, कांग्रेस पार्टी से बाहर के पहले ऐसे नेता हैं जो सबसे अधिक लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। वाजपेयी के आलोचकों ने भी उन्हें आरएसएस का ‘‘मुखौटा’’ मानने के बावजूद उनके बारे में हमेशा अच्छी बातें कहीं।

घोषणा का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘ पंडित मदन मोहन मालवीय और श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जाना बेहद खुशी की बात है। इन महान विभूतियों को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाना राष्ट्र सेवा में उनके योगदान का उचित मान्यता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अटलजी हर किसी के प्रिय हैं। एक पथप्रदर्शक, एक प्रेरणा और दिग्गजों के बीच दिग्गज हैं। भारत के प्रति उनका योगदान अतुलनीय है।’’
मालवीय के बारे में मोदी ने कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय को एक असाधारण विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों के बीच में राष्ट्रीय चेतना की ज्योति प्रज्जवलित की।’’

वाजपेयी को देश के महान वक्ताओं में से एक बताते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और दक्षिणपूर्वी एशिया में शांति के प्रति प्रतिबद्ध रहे।

तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जदयू नेता नीतीश कुमार ने भी इस फैसले का स्वागत किया।

कांग्रेस ने भी वाजपेयी और मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किए जाने की घोषणा का स्वागत किया, लेकिन साथ ही उम्मीद जताई कि राजग सरकार इन दोनों द्वारा दिखाये गये ‘‘राज धर्म’’ और ‘‘धर्मनिरपेक्षता’’ के पथ का अनुसरण करेगी। पार्टी ने यह टिप्पणी संभवत: 2002 के गुजरात दंगों के समय मोदी को ‘‘राजधर्म’ का पालन करने की वाजपेयी की सलाह के संदर्भ की।

दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद् पंडित मदन मोहन मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है।
25 दिसंबर 1861 को जन्मे मदन मोहन मालवीय 1886 में कोलकाता में कांग्रेस के दूसरे सत्र में अपने पहले विचारोत्तेजक भाषण के तुरंत बाद ही राजनीति में छा गए थे। वह 1909 और 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।

मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी जाना जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के शुरुआती नेताओं में से एक थे। वह समाज सुधारक और सफल संसदविद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्रपति से इन दोनों महान हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित करने का आग्रह किया था। इस पुरस्कार के लिए कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है।

पिछले साल जब संप्रग सरकार ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर तथा वैज्ञानिक सीनआर राव को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की थी तो राष्ट्र के प्रति वाजपेयी के योगदान को अनदेखा करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की गयी थी।

भारत रत्न से सम्मानित होने वाली प्रमुख हस्तियों में सी. राजगोपालाचारी, डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सी. वी. रमण, जवाहरलाल नेहरू, मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, जयप्रकाश नारायण और जेआरडी टाटा शामिल हैं।