महंगाई पर काबू न करने और उचित कदम न उठाने से जुड़े राहुल गांधी के आरोपों का संसद में गुरुवार को जवाब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया। राहुल ने कहा था कि वो तारीख बताएं, जब चीजों के दाम कम हो जाएंगे। इसके जवाब में जेटली ने कहा, ‘महंगाई कम करने की तारीख नहीं, बल्कि इसे कम करने की नीतियों को बताना जरूरी है। हमारी सरकार ने दाल की पैदावार बढ़ाने के लिए नीतियों में बदलाव किया। महंगाई घटाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।” जेटली ने कहा कि दाल की कीमतों में आई उछाल के लिए उसमें भ्रष्टाचार ढूंढना सही नहीं है। जेटली ने कहा, ‘यह तो विडंबना है कि आज दो साल मोदी सरकार के होने के बावजूद जो भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, वो यूपीए सरकार के हैं। हमने दो डिजिट में महंगाई दर मिली थी। हमें इसे नियंत्रण करने में कामयाबी मिली।”
जेटली ने कहा, ”अगर आप दाल की एमएसपी बढ़ा देंगे, लेकिन दाल की पैदावार न हो या बरसात न हो तो क्या होगा। बीते दो साल हमारे अर्थव्यवस्था पर वजन रहे हैं। अच्छी बारिश नहीं हुई। इस देश में 23 मिलियन टन दाल की जरूरत है। जो पैदावार हुई वो 17 मिलियन टन थी। जो यह 6 मिलियन टन कम है, वो हम दुनिया से खरीदते हैं। पिछले दो साल में दुनिया के बाजार में दाल की कमी रही है। और ज्यादा गंभीर हालात हो गई तो कुछ व्यापारियों ने हाल की जमाखोरी शुरू दी। सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी, जिसके बाद दाल के दाम कुछ हो गए।”
क्रूड ऑयल पर भी दी सफाई
राहुल ने आरोप लगाया था कि क्रूड ऑयल की कीमतें कम होने का फायदा आम जनता को नहीं पहुंचाया गया। इस पर जेटली ने कहा, ..”आज कई बार जिक्र आया। करुणाकरण जी ने कहा कि हम टैक्स लगा रहे हैं। आप केरल से हैं। हमने कम से कम फूड प्रोडक्ट्स पर टैक्स नहीं लगाए। कुछ ऐसे राज्य भी हैं, जो समोसे पर भी टैक्स लगा रहे हैं। अगर हम पेट्रोलियम की कीमत को लेकर किए गए जिक्र की बात करें तो यह सही है कि क्रूड ऑयल की कीमतें घटी हैं। इंडिया ने कैसे इसका इस्तेमाल किया। हम किस परिस्थिति में थे कि दुनिया की प्रतिष्ठित मैगजीन्स कह रहे थे कि ब्रिक्स देशों में से भारत बाहर हो जाएगा। देश की हालत ऐसी थी कि बैंकिंग सिस्टम की अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने की हालत नहीं थी। इस हालत में कोई सरकार छोड़कर जाती है। सोचिए क्या हालात थे। पूरे दुनिया में इकोनॉमी मंद थी। ब्याज दरें ऊपर थी। मुद्रा स्फीर्ति ऊपर थी। इस हालत में देश की अर्थव्यवस्था को संभालना था, उसके लिए जरूरी था कि जहां जहां से सपोर्ट मिले, उन संसाधनों का इस्तेमाल करें। जहां तक क्रूड ऑयल की कीमतों का सवाल है तो हमने इसका तीन तरीके से इस्तेमाल किया। इसके तहत, सरकारी कंपनियों को घाटा नहीं होने दिया। इसके बाद, दूसरा हिस्से को बतौर फायदा कस्टमर को दिया गया। तीसरे हिस्से को टैक्स पूल दिया गया। जिन डीजल और पेट्रोल का इस्तेमाल करके कस्टमर कार चलाता है, उसे इसी तीसरे पार्ट के सहारे हाइवे दिए गए।”
My response to a discussion in Lok Sabha on price rise, July 28, 2016 https://t.co/dtb7VFr1Yq
— Arun Jaitley (@arunjaitley) July 28, 2016