पूरी दुनिया में इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर चर्चा है, तकनीक हर रोज बदल रही है, हर रोज नई तरक्की कर रही है। भारत भी इस रेस में खुद को पीछोे नहीं रखना चाहता है, इसी वजह से लगातार नए इनोवेशन हो रहे हैं। लेकिन कुछ फैसले ऐसे भी होते हैं जिनको लेकर विवाद होता है, जिनको लेकर आलोचना झेलनी पड़ती है। ऐसा ही कुछ केंद्र की मोदी सरकार के साथ भी हुआ है, इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई से हुआ है।
पूरा विवाद क्या है, क्यों हुआ बवाल?
असल में बताया गया है कि पिछले एक मार्च को भारत सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी, उसमें कहा गया था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले जितने भी प्लेटफॉर्म हैं, उन्हें भारत सरकार से परमीशन लेनी पड़ेगी। जो भी अंडर टेस्टिंग उन्हें करनी होगी, उसके लिए सरकार को लूप में रखना पड़ेगा। लेकिन इसी एडवाइजरी को लेकर पसंद नहीं किया गया, टैक दुनिया ने इसकी आलोचना की और आखिर में सरकार को ही झुकना पड़ा।
अब जानकारी के लिए बता दें कि उस एडवाइजरी के कुछ दिन बाद ही 7 मार्च को Nasscom की तरफ से आपत्ति दर्ज करवाई गई थी। उनकी तरफ से तीन बड़ी मांग की गईं- पहली- एपलिकेबिलिटी के नियमों में ढील दी जाए, दूसरी- सरकार की परमीशन लेना अनिवार्य नहीं होना चाहिए, तीसरी- स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने का दबाव नहीं होना चाहिए। अब इन मांगों के बाद ही सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
भारत सरकार क्या करना चाहती थी?
Nasscom की तरफ से तर्क दिया गया था कि वो जो ज्यादा जानकारी अपने यूजर्स को देना चाहता है, सरकार के एक फैसले की वजह से वो नहीं हो पा रहा था, कई तरह की पाबंदियां आ रही थीं। इसी बात को लेकर सारी आपत्ति थी और सरकार को भी अपने कदम पीछे खींचने पड़े। वैसे भारत सरकार का भी एक तर्क था, ऐसा कहा जा रहा था कि AI मॉडल के जरिए जो जानकारी कई बार सामने आती थी, वो भारत को लेकर पक्षपाती होती थी, कई बार ऐसे तथ्य सामने रखे जाते थे, जो शायद पूरी तरह सच ना हों। इसी वजह से वो चाहती थी कि बिना परमीशन को कोई कंटेंट ना जाए। लेकिन अभी के लिए सरकार को ही अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं।
Soumyarendra Barik की रिपोर्ट