J&K को विशेष वरीयता दिए जाने से जुड़े आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के मोदी सरकार के फैसले के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। हालांकि, हालात धीरे-धीरे सामान्य होने की उम्मीद है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के हवाले से बताया गया है कि शुक्रवार (9 जुलाई, 2019) को श्रीनगर में 18000, बडगाम में 7500 जबकि अनंतनाग में 11000 लोग नमाज पढ़ने के लिए निकले।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बारामुला, कुलगांव और शोपियां में नमाज के लिए जुटने वाले लोगों की संख्या 4000 के करीब थी। बता दें कि जिला प्रशासन ने पहले ही साफ कर दिया था कि लोगों को छोटे समूहों में मोहल्ले की मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत होगी। फिलहाल वे जामा मस्जिद या हजरतबल जैसी बड़ी मस्जिदों में नहीं जा सकेंगे जहां आम तौर पर ज्यादा भीड़ जुटती है।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि नमाज के लिए प्रतिबंधों में ढील दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, उत्तरी कश्मीर के सोपोर में पथराव की मामूली घटनाओं को छोड़कर घाटी में शांति रही। वहीं, जम्मू जिला मजिस्ट्रेट सुषमा चौहान द्वारा जारी आदेश के अनुसार, सभी स्कूल, कॉलेज और अकादमिक संस्थान 10 अगस्त से सामान्य रूप से काम करना शुरू कर सकते हैं।
वहीं, रॉयटर्स की एक न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया कि श्रीनगर में शुक्रवार को करीब 10 हजार लोगों ने प्रदर्शन किया। रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को इन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस और पैलेट्स का इस्तेमाल करना पड़ा। रॉयटर्स ने एक पुलिस अधिकारी और दो प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
हालांकि, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कश्मीर में करीब 10,000 लोगों के प्रदर्शन की मीडिया में आई खबर को ‘‘गढ़ा हुआ तथा गलत’’ बताते हुए खारिज कर दिया। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘श्रीनगर/बारामूला में छिटपुट प्रदर्शन हुए और इनमें से किसी प्रदर्शन में 20 से अधिक लोग शामिल नहीं रहे।’’
बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार की नमाज खत्म होने के बाद ये प्रदर्शन शुरू हुए थे। एक पुलिस अफसर के हवाले से बताया गया कि श्रीनगर के सूरा इलाके में काफी लोग इकट्ठे हो गए जोकि धारा 144 का उल्लंघन था। एक गवाह के मुताबिक, आइवा ब्रिज पर इस भीड़ को पुलिस ने पीछे ढकेला। गवाह का दावा है कि पुलिस ने आंसू गैस और पैलेट्स का इस्तेमाल किया।
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रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पैलेट्स से घायल लोगों को शेर ए कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया। यहां एक प्रत्यक्षदर्शी ने यहां तक दावा किया कि ‘कुछ महिलाएं और बच्चे पानी में कूद गए।’ एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, ‘उन्होंने (पुलिस ने) हमारे ऊपर दो तरफ से हमला किया।’ वहीं, पुलिस अधिकारी ने बताया कि सूरा में पैलेट्स के निशाने बने 12 लोगों को दो अस्पतालों में भर्ती किया गया।
पुलिस अफसर के मुताबिक, सूरा में हुए प्रदर्शन में करीब 10 हजार लोग शामिल थे। बता दें कि कश्मीर में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सरकार ने वहां बड़ी तादाद में सुरक्षाबलों की तैनाती कर रखी है। मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर भी बंदिशें हैं। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि किसी आम कश्मीरी को परेशान नहीं किया जाए।
अधिकारियों ने कहा कि मंगलवार से ही यहां मौजूद डोभाल ने शुक्रवार को संवेदनशील इलाकों के दौरे के दौरान स्थानीय लोगों और सुरक्षार्किमयों से बात की। सहयोगियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ईदगाह इलाके का दौरा किया और विभिन्न स्थानों पर रुक कर लोगों से बात की। उन्होंने बाद में पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों से बात कर कानून-व्यवस्था बरकरार रखने में उनके शानदार काम के लिए उन्हें बधाई दी।

