उत्तराखंड में विभिन्न राज्यों से अब तक लगभग एक लाख 86 हजार से ज्यादा प्रवासी आ चुके हैं। दो लाख 64 हजार 648 प्रवासियों ने उत्तराखंड आने के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवाया है। राज्य सरकार की प्राथमिकता इन सब प्रवासियों को राज्य में लाने की है जो विभिन्न राज्यों से रेल और बस के द्वारा या निजी वाहनों से राज्य में आए हैं। 25 हजार 156 प्रवासियों को रेल और 36 हजार 512 को राज्य की परिवहन सेवा से लाया गया है और अन्य प्रवासी निजी वाहनों से राज्य में आए हैं।
राज्य सरकार ने इन प्रवासियों की वापसी को देखते हुए इनके रोजगार के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जारी की है ताकि यह प्रवासी फिर से राज्य से पलायन करके अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में ना जाएं और अपने पर्वतीय क्षेत्रों में ही अपनी रोजी रोटी के लिए रोजगार करें। राज्य सरकार प्रवासियों की वापसी को राज्य में हो रहे पलायन को रोकने का एक अवसर मानती है। उत्तराखंड राज्य बनने से पूर्व और राज्य बनने के 20 सालों बाद भी यहां का युवा रोजगार की तलाश में पहाड़ों को छोड़कर मैदानी प्रदेशों में तेजी से जा रहा था। पिछले साल जारी पलायन आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखंड के अल्मोड़ा, पौड़ी और अन्य पर्वतीय जिलों में हो रहे पलायन की भयावह स्थिति दर्शाई गई थी।
कुछ गांव तो खाली हो गए थे राज्य सरकार ने पलायन को रोकने के लिए कई घोषणाएं कीं परंतु दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे युवाओं को राज्य सरकार की योजना आकर्षित नहीं कर सकीं। कोरोना महामारी के चलते कई राज्यों में नौकरी कर रहे युवाओं ने अपनी नौकरियों से हाथ धो दिया और वे रोजी रोटी के लिए इन महानगरों में कोई संभावना ना होते देख अपने राज्य की ओर आने को विवश हुए हैं। उनकी यह मजबूरी उन्हें वापस अपने राज्य में ले आई है।
भले ही अब राज्य सरकार इन प्रवासियों की वापसी को पलायन रोकने का एक अवसर मानती है परंतु इन प्रवासियों की वापसी उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को तेजी से लेकर आई है। इन प्रवासियों का राज्य में 12 मई से आने का सिलसिला शुरू हुआ और जो अब तक जारी है और तभी से राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ना शुरू हुआ है। 12 मई तक राज्य में 68 कोरोना संक्रमित थे जिनमें से 46 ठीक होकर जा चुके थे परंतु अब यह आंकड़ा 20 दिन बाद एक हजार से ऊपर जा पहुंचा है।
प्रवासियों के आने से पूर्व उत्तराखंड के 8 पर्वतीय जिलों में कोई कोरोना संक्रमित नहीं था। कोरोना संक्रमण केवल चार जिलों देहरादून, नैनीताल, उधम सिंह नगर और हरिद्वार में था और सीमित संख्या तक था जिनमें ज्यादातर संख्या जमातियों की थी। अब उत्तराखंड में घरातियों ने कोरोना संक्रमण को राज्य के सभी 13 जिलों में पहुंचा दिया। प्रवासियों के आने से पहले राज्य के नौ पर्वतीय जिले हरे क्षेत्र में थे और तीन जिले लाल क्षेत्र में शामिल थे। अब राज्य के 11 जिले नारंगी क्षेत्र एक जिला नैनीताल लाल क्षेत्र और एकमात्र जिला उधम सिंह नगर हरे क्षेत्र में चिन्हित किया गया है।
हरिद्वार जिला उत्तराखंड में सबसे ज्यादा संवेदनशील है क्योंकि प्रवासी उत्तराखंडी सबसे पहले बसों और रेल के द्वारा हरिद्वार में आ रहे हैं और जिन्हें यहां से अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। इसलिए उत्तराखंड के सीमांत जिले हरिद्वार में जिला प्रशासन ने कई एकांतवास केंद्र इन प्रवासियों के ठहरने के लिए बनाए हैं जिनमें इनके ठहरने की व्यवस्था की गई है और इनकी चिकित्सीय जांच भी की जा रही है।
हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि जिले में आ रहे सभी प्रवासी लोगों के एकांतवास में ठहरने और उनकी चिकित्सीय जांच करने की समुचित व्यवस्था की गई है। साथ ही पूरे जनपद में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के प्रयास उच्च स्तर पर किए गए हैं। रेलवे स्टेशन बस स्टेशन और एकांतवास केंद्रों में सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया है। साथ ही हरिद्वार जनपद में सिडकुल औद्योगिक में औद्योगिक गतिविधियां भी विशेष शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्तर पर चलाई जा रही हैं। साथ ही के सभी व्यवसाय अधिष्ठान गतिविधियों पर खास ध्यान रखा गया है और अस्थि विसर्जन जैसे कर्म कांडों को भी अनुमति दे दी गई है।
‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’ राज्य के उद्यमशील युवाओं और कोरोना के कारण उत्तराखंड लौटे लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्घ कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इससे कुशल और अकुशल दस्तकार, हस्तशिल्पि और बेरोजगार युवा खुद के व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित होंगे। विभिन्न बैंको से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यह योजना महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए प्रदेश में 11 नए ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी गई है।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
पतंजलि योगपीठ ने राज्य सरकार के साथ मिलकर कृषि और जड़ी बूटी के क्षेत्र में प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार की है। कोरोना संकट के दृष्टिगत बहुत से लोग प्रदेश में वापस आए हैं। इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने और अल्प समय में आजीविका उपलब्ध कराने में कृषि क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैव विविधता उत्तराखंड की विशेषता है। कृषि क्षेत्र में इसका लाभ लिया जा सकता है।
– आचार्य बाल कृष्ण, महामंत्री, पतंजलि योगपीठ
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा प्रवासी अल्मोड़ा जिले में लौटे
अब तक उत्तराखंड में सबसे ज्यादा प्रवासी अल्मोड़ा जिले में 35 हजार 788 आ चुके हैं। उसके बाद पौड़ी जिले में 33 हजार 258, टिहरी जिले में 26 हजार 824, हरिद्वार जिले में 18 हजार 523, नैनीताल जिले में 14 हजार 830, बागेश्वर जिले में 12 हजार 892, देहरादून जिले में 11 हजार 526, चंपावत जिले में 7 हजार 650, रुद्रप्रयाग जिले में 5 हजार 363, उत्तरकाशी जिले में 4 हजार 485, चमोली जिले में 4 हजार 293, उधम सिंह नगर जिले में 4 हजार 129 और पिथौरागढ़ जिले में 5 हजार 585 प्रवासी आए हैं। उत्तराखंड में विभिन्न राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, जम्मू, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और पंजाब के 69 हजार 261 श्रमिकों को उनके राज्यों में वापस भेजा जा चुका है जिनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के 28 हजार 676 और बिहार के 19 हजार 688 प्रवासी मजदूर शामिल थे।
