मणिपुर में 18 सैनिकों की हत्या करने वाले विद्रोहियों पर करारा पलटवार करते हुए सेना के विशेष बलों ने मंगलवार को म्यांमा में सटीक कार्रवाई करते हुए उन 20 उग्रवादियों को मौत की नींद सुला दिया जिन पर सैन्यदल पर घात लगाकर हमला करने का संदेह है।
यह कार्रवाई एक विशेष सूचना के आधार पर कमांडो ने म्यांमा अधिकारियों के साथ तालमेल कायम कर की। सेना का कहना है कि दो उग्रवादी संगठनों को भारी नुकसान पहुंचा। समझा जाता है कि ये दोनों संगठन एनएससीएन (के) और केवाईकेएल हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस कार्रवाई में 15 उग्रवादी मारे गए। सैनिकों में कोई हताहत नहीं हुआ। अतिरिक्त सैन्य अभियान महानिदेशक मेजर जनरल रणबीर सिंह ने बताया कि मणिपुर के हमले के बाद सेना बिल्कुल चौकस थी। उसे पिछले कुछ दिनों में इस बात की पक्की सूचना मिली थी कि ये उग्रवादी भारतीय क्षेत्र में और हमले करने की साजिश रच रहे हैं।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले हमलों में शामिल समूहों के कुछ लोगों की ओर से ये हमले हमारे सुरक्षाकर्मियों और सहयोगियों पर किए जाने थे। आसन्न खतरे को ध्यान में रखते हुए तत्काल कार्रवाई जरूरी थी। खुफिया सूचना के आधार पर हमने इन योजनाबद्ध हमलों का मुकाबला करने के लिए अभियान चलाया।’ उन्होंने अभियान के बारे में बताया। हालांकि उन्होंने कोई भी प्रश्न उत्तर के लिए लेने से इनकार कर दिया।
सिंह ने कहा कि सीमा और सीमावर्ती राज्यों पर अमन चैन सुनिश्चित करते हुए हमारी सुरक्षा, संरक्षा व राष्ट्रीय एकता के प्रति किसी भी खतरे से कड़ाई से निबटा जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि अभियान नगालैंड और मणिपुर में भारत-म्यांमा सीमा के पास दो स्थानों पर चलाया गया लेकिन सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई म्यांमा के अंदर स्थानीय अधिकारियों के साथ तालमेल कायम कर की गई। भारतीय कार्रवाई दल सुरक्षित लौट आया। सूत्रों के मुताबिक यह पहली बार हुआ है कि भारतीय सेना ने सीमा पर कमांडो कार्रवाई की है जो आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय पहल का द्योतक है। इस कार्रवाई की योजना पूर्वोत्तर के कई राज्यों में उग्रवादियों द्वारा किए गए कई हमलों के बाद बनाई गई।
सूत्रों के मुताबिक अभियान पक्की खुफिया सूचना के आधार पर चलाया गया। दोनों पक्षों के बीच भीषण गोलीबारी हुर्ह। मेजर जनरल सिंह ने कहा, ‘हमने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है। फलस्वरूप, हमारे नागरिकों व सुरक्षाबलों को खतरा टल गया है।’
सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के चंदेल में चार जून को उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में 18 सैनिकों के मारे जाने के बाद बदले की कार्रवाई के तहत यह अभियान चलाया गया।
सूत्रों ने सीमापार कार्रवाई को सही ठहराया और बताया कि यह नोटिस किया गया था कि उग्रवादी हमला करने के लिए सीमापार से आते थे और फिर लौट जाते थे। मेजर जनरल सिंह ने कहा, ‘हम इस मामले में म्यांमा के अधिकारियों के संपर्क में हैं। हमारी सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग का इतिहास रहा है। हम ऐसे उग्रवादियों का मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करने को आशान्वित रहे हैं।’
मार्च में संघर्ष विराम से हट जाने वाला एनएससीएन (के) तथाकथित ‘यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ साउथ ईस्ट एशिया’ के बैनर तले अन्य उग्रवादी संगठनों के साथ मिलकर कई हमलों में शामिल रहा है।