सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि देशभर में अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के समाधान के लिए एक न्यायाधिकरण बनाने का प्रस्ताव है जिसके तहत राज्यों के पंचाट पीठों की तरह काम करेंगे। केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री संजीव बालियान ने बताया कि पूरे देश के लिए नया न्यायाधिकरण बनाने का प्रस्ताव है। छोटे-छोटे अधिकरण इसकी पीठ की तरह काम करेंगे। अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के समाधान के लिए मौजूदा कानून में संशोधन के मकसद से जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने गत 14 मार्च को अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2017 सदन में पेश किया था। राज्यों के बीच नदी जल विवादों के समाधान में तेजी लाने के मकसद से यह विधेयक लाया गया है। बालियान ने बताया कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी के पानी के बंटवारे के मामले में अध्ययन के लिए केंद्र सरकार ने कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 (केआरएमबी-2) द्वारा अंतिम आवंटन किए जाने तक दोनों राज्यों के बीच नदी जल के बंटवारे की अस्थाई व्यवस्था कर रहा है।
2021 तक आर्सेनिक, फ्लोराइड वाले पानी से मुक्ति का प्रयास : सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि देश के जो भी इलाके आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी के संकट को झेल रहे हैं, उनमें 2021 तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य के साथ वह काम कर रही है। केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रश्नकाल में कहा कि देश में 28,000 बसावटें ऐसी हैं जहां पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे खतरनाक तत्त्वों का स्तर बहुत ज्यादा है। खासतौर पर पश्चिम बंगाल में आर्सेनिक युक्त पानी और राजस्थान में अधिक फ्लोराइड वाले जल से लोगों को बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं। सरकार ने 2021 तक इन क्षेत्रों को फ्लोराइड और आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्त करने और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उपमिशन की घोषणा की गई और काम शुरू हो गया है।
मंत्री ने कहा कि राज्यों को पैसा देना शुरू कर दिया है और वर्ष 2021 तक देश आर्सेनिक और फ्लोराइड वाले पानी के उपयोग से मुक्त हो सके, यह हमारा प्रयत्न है। तोमर ने महेश गिरि के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि कृत्रिम जल संचय और वर्षा जल संचय के लिए देश के ग्रामीण इलाकों में करीब 23 लाख और शहरी इलाकों में 88 लाख जलाशय के निर्माण की वृहद योजना पर सरकार काम कर रही है। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने अवधारणा पत्र तैयार किया है जिसे बनाने में जलविज्ञानी और विशेषज्ञ शामिल होंगे। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल गुणवत्ता में सुधार के लिए 35 अनुसंधान और विकास परियोजनाएं संचालित की हैं। देश में 53 प्रतिशत बसावटों में पाइपलाइन से पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है और सभी क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की दिशा में सरकार काम कर रही है जिसमें समय लगेगा। इसके लिए भारत सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है।