भारत में विकसित एंटी सबमरीन टॉरपीडो वरुणास्त्र को इंडियन नेवी में शामिल कर लिया गया है। इसके साथ ही भारत उन आठ देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे सिस्टम बनाने की क्षमता है।
वरुणास्त्र को डीआरडीओ के लैब नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री (NSTL) ने विकसित किया है। इसे बुधवार को आधिकारिक तौर पर इंडियन नेवी को सौंप दिया गया। माना जा रहा है कि यह नेवी के लिए गेम चेंजर साबित होगा। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने कहा कि इस प्रोग्राम से न केवल भारत की स्वदेशी क्षमता का विकास होगा, बल्कि इसे विदेशों में निर्यात करने का मौका भी मिलेगा।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वरुणास्त्र का वजन करीब 1.25 टन है, जो 250 किलो के विस्फोटक को 40 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य पर दाग सकता है। इसका 95 फीसदी हिस्सा भारत में विकसित किया गया है। इसके एक यूनिट की कीमत 10 से 12 करोड़ रुपए है। यह बेआवाज और रडार पर जल्द न पकड़े जाने वाले सब्मरीन्स को पानी के अंदर निशाना बना सकता है।