All India United Democratic Front (AIUDF) के विधायक अमीनुल इस्लाम को बुधवार को जैसे ही जमानत मिली, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में ले लिया गया। अमीनुल इस्लाम ने पहलगाम आतंकी हमले को “सरकार की साजिश” बताया था। इसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और 24 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था
पहलगाम के आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी।
पहलगाम आतंकी हमले के संबंध में किसी तरह की टिप्पणी या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने को लेकर असम की सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है। अब तक इस मामले में 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र विरोधियों पर कार्रवाई जारी है।
पहलगाम हमले को “सरकार की साजिश” बताने वाले AIUDF के विधायक अमीनुल इस्लाम कौन हैं?
अमीनुल इस्लाम को हिरासत में लेने का आदेश नागांव के डीएम नरेंद्र कुमार शाह ने जारी किया है। इसमें पुलिस की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीनुल इस्लाम राज्य की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले कामों में शामिल रहे हैं। इसमें उनके भाषण का भी हवाला दिया गया है। इसके बाद डीएम ने अमीनुल इस्लाम को NSA की धारा 3(2) के तहत हिरासत में लिए जाने का आदेश दिया।
नागांव के एसपी स्वप्निल डेका ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमें अमीनुल इस्लाम को NSA के तहत हिरासत में लेने का आदेश मिला था और अब उन्हें सेंट्रल जेल भेजा गया है। NSA के तहत किसी भी शख्स को बिना किसी आरोप या मुकदमे के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है।
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अमीनुल इस्लाम की इस टिप्पणी से पार्टी ने खुद को अलग कर लिया था। पार्टी के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने इस टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।
कौन हैं अमीनुल इस्लाम?
अमीनुल इस्लाम के पिता खैरुल इस्लाम मुफ्ती भी राजनीति में सक्रिय थे। वह असम के नागांव जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुख नेता थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में अमीनुल इस्लाम ने नागांव जिले की ढींग सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार महबूब मुख्तार को 1.2 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया था। अमीनुल तीन बार विधायक रह चुके हैं।
Association of Democratic Reforms (ADR) के मुताबिक, अमीनुल इस्लाम पर पहले भी आईपीसी की कई धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें राजद्रोह, किसी धर्म या मत का अपमान करना, धर्म-जाति, भाषा के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना जैसे आरोप शामिल हैं।
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