अमेरिका की सबसे बड़ी एविएशन कंपनियों में शुमार बोइंग ने भारतीय वायुसेना को ऑर्डर किए हुए सभी अपाचे और चिनूक मिलिट्री हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी पूरी कर दी है। भारत ने बोइंग के साथ 22 अपाचे हेलिकॉप्टर और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने की डील की थी। इन आधुनिक हेलिकॉप्टर के लिए भारत ने अमेरिकी कंपनी के साथ 2015 में ही समझौता किया था। 5 साल के अंदर बोइंग ने सभी हेलिकॉप्टर डिलीवर कर दिए।
बोइंग की इस टाइमिंग का भारत और चीन के बीच लद्दाख में चल रहे तनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, भारत लद्दाख एलएसी पर चीन की घुसपैठ जैसी कारस्तानियों का सामना कर रहा है। ऐसे में उसे चीनी गतिविधियों पर नजर रखने और किसी अनहोनी की स्थिति में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑपरेट करने लायक एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ती है, जो ज्यादा से ज्यादा दबाव झेलने के बाद भी अच्छी मात्रा में पेलोड उठा सकें। अमेरिका के अपाचे और चिनूक दोनों ही अपनी इस खूबी के लिए जाने जाते हैं।
बोइंग ने ट्वीट कर बताया कि चिनूक हेलिकॉप्टरों की आखिरी खेप भारतीय वायुसेना को मार्च में ही सौंप दी गई थी, जबकि आखिरी 5 अपाचे हेलिकॉप्टर की खेप भी जून के आखिरी हफ्ते में भारत को सौंप दी गई है। बताया गया है कि इन्हें हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पहुंचाया गया है।
बता दें कि भारत ने अपाचे हेलिकॉप्टर का सबसे आधुनिक AH-64E वर्जन खरीदा है। यह वर्जन अभी 17 देशों के पास ही है और इसे एडवांस अटैक हेलिकॉप्टर की श्रेणी में रखा जाता है। अपाचे हेलिकॉप्टर में सबसे आधुनिक हेलमेट टारगेटिंग सिस्टम दिया गया है, जिससे वे जहां देखते हैं, हेलिकॉप्टर की गन वहीं निशाना लगाती है। इसके अलावा इसमें रात के ऑपरेशन के लिए नाइट विजन सिस्टम और सर्विलांस सेंसर भी दिए गए हैं। अपाचे का 18 एयरक्राफ्ट का बटालियन एक बार में 288 मिसाइल ले जा सकता है, जो दुश्मन की टैंकों को आसानी से नष्ट कर सकती हैं।
इसके अलावा भारत ने चिनूक हेलिकॉप्टर का भी सबसे एडवांस वर्जन CH-47F (I) खरीदा है। यह हेलिकॉप्टर आसानी से गर्म जलवायु के साथ ऊंचाई वाले इलाकों में भार लेकर उड़ सकता है। तेज हवाओं का भी इस पर कोई असर नहीं होता। इसे हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर की श्रेणी में रखा जाता है।