अलवर पुलिस ने रविवार को दावा किया कि शुक्रवार (10 नवंबर) को संदिग्थ गोरक्षकों द्वारा गोली चलाने के प्रथम दृष्टया सबूत नहीं मिले हैं। घटना में 42 वर्षीय उमर की मौत हो गयी थी। गोरक्षकों का आरोप है कि गोविंदगढ़ उमर, ताहिर और जावेद नामक गाय और बछड़ों की तस्करी कर रहे थे। लेकिन भरतपुर स्थित घटमिका गाँव में रहने वाले उमर के पड़ोसियों के अनुसार उनके यहां दूध का उत्पादन होता है और सभी लोग दूध का व्यवसाय करते हैं। ताहिर के अनुसार हमलावरों ने उन्हें भी गोली मारी थी। ताहिर ने वो गोली रखी हुई है जो उनकी बांह में लगी थी।
45 वर्षीय ताहिर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “गुरुवार (नौ नवंबर) को हम दोपहर बाद अपने घर से गाय खरीदने निकले थे। उमर और मैंने पांच गायें दौसा से खरीदीं। हमारे साथ जावेद भी था। गुरुवार रात हम घर वापस आने लगे। शुक्रवार तड़के हम गोविंदगढ़ के पास से गुजर रहे थे…गांव के आखिर में छह-सात लोग मिले जो एक घर के पीछे छिपे हुए थे, उन्होंने हम सब पर गोलियां चला दीं।” ट्रक चला रहे जावेद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “ताहिर जोर से चिल्लाया…लेकिन वो लोग गोलियां चलाते रहे। मैं दरवाजा खोलकर बाहर झाड़ियों में भागा। उन्होंने मेरा पीछा किया लेकिन मैं अंधेरे की वजह से भागने में कामयाब रहा।”
ताहिर कहते हैं, “मैं बीच की सीट पर बैठा था। उमर मेरे बायीं तरफ बैठा था। उसने दरवाजा खोला लेकिन गोली लगने की वजह से वहीं गिर पड़ा। मैं भागा लेकिन मेरी बायीं बांह में एक गोली लग गयी थी।” ताहिर के अनुसार बाद में डॉक्टर ने उनकी बाँह से गोली निकाली। ताहिर ने बताया, “उन्होंने मेरे सिर पर बंदूक की बट से भी हमला किया, मैं गिर पड़ा। एक आदमी ने मेरा दायां पांव मरोड़ दिया। तभी दूसरे आदमी ने कहा राकेश ये (उमर) तो मर गया, ये भी मर जाएगा। उसके बाद मैं बेहोश हो गया।”
ताहिर ने बताया कि उन्हें एक घंटे बाद होश आया। ताहिर कहते हैं, “मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भागता रहा। मुझे एक मोटरसाइकिल सवार मिला मैंने उसे बताया कि मैं घायल हूं। उसने मुझे मेरे गांव के करीब छोड़ा। फिर मेरे परिवार वाले मुझे हरियाणा के एक अस्पताल ले गये।” जावेद भी हमले की जगह से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित अपने गाँव पहुंचे चुके थे। घटना के तीन दिन बाद भी ताहिर और जावेद अपने घर पर नहीं रह रहे हैं। वो अपनी रहने की जगह के बारे में लोगों को बताना नहीं चाहते।