Ajmer Dargah Shiv mandir: उत्तर प्रदेश के संभल में शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने के दावे और हिंसा के बाद माहौल काफी गर्म है। अब राजस्थान की प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह की जगह शिव मंदिर बताने के मामले में एक स्थानीय अदालत के नोटिस के बाद माहौल और गर्म होता दिख रहा है। इस मामले में अजमेर की एक स्थानीय अदालत की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया गया है।
बताना होगा कि यह नोटिस हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता की याचिका को लेकर जारी किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि एक शिव मंदिर थी।
हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि अजमेर शरीफ दरगाह काशी और मथुरा की तरह ही एक मंदिर है। विष्णु गुप्ता को जान से मारने की धमकी मिली है।
सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है दरगाह: चिश्ती
इस मामले में अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा है कि अजमेर शरीफ की दरगाह यूनिटी इन डाइवर्सिटी और सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक यह इस्लाम का बड़ा मरकज है और इसे मानने वाले करोड़ों लोग हैं। उन्होंने कहा कि यह रोज-रोज का तमाशा हो रहा है और ऐसा नहीं होगा कि हम इसे सहते रहेंगे।
अदालत की ओर से नोटिस भेजे जाने को लेकर सरवर चिश्ती ने कहा कि हमने बड़े-बड़े दौर देखे हैं और कुछ भी नहीं हुआ। अक्टूबर 2007 में यहां बम धमाका हुआ था और उसमें तीन लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल से यह लोग बयानबाजी कर रहे हैं और हर जगह इन्हें शिवलिंग और मंदिर नजर आता है। सदियों पुरानी मस्जिदों को लेकर यह लोग इस तरह की हरकतें कर रहे हैं और यह चीजें देश हित में नहीं हैं।
सरवर चिश्ती ने कहा कि हम देख रहे हैं क्या करना है और क्या करेंगे और इंशाअल्लाह किसी की यह मुराद पूरी नहीं होगी कि यहां कुछ हो जाए। उन्होंने कहा कि यह गरीब नवाज की दरगाह थी, है और इंशाअल्लाह रहेगी।
बताना होगा कि अजमेर शरीफ दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। इसका निर्माण मुगल बादशाह हुमायूं ने करवाया था। यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इसे देश में मुसलमानों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। यहां पर न सिर्फ इस्लाम को मानने वाले बल्कि दूसरे धर्मों और अलग-अलग जाति-बिरादरियों के लोग भी आते हैं।
…हर दूसरे दिन मस्जिदों और दरगाहों पर
इस मामले में नोटिस जारी किए जाने पर अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने विरोध जताया है। उन्होंने खुद को भी एक पक्ष बताते हुए पक्षकार नहीं बनाए जाने पर हैरानी जताई है। चिश्ती ने कहा, “जिन संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें दरगाह समिति, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय शामिल हैं। लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है। मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं। हम अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं।”
अजमेर की दरगाह को लेकर आखिर यह पूरा विवाद क्या है। पढ़िए इस खबर में।