एअर इंडिया का लंदन जा रहा विमान गुरुवार दोपहर अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में दो पायलट और चालक दल के 10 सदस्य सहित 242 लोग सवार थे जिनमें से 241 लोगों की मौत हो गयी। फ्लाइट में सवार एकमात्र जीवित व्यक्ति भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक है और उसका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने आखिरी मौके पर या तो टिकट कैंसिल करा दी थी या किसी कारण से उनकी फ्लाइट मिस हो गयी थी, अब वे लोग भगवान का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे। गुजरात की भूमि चौहान उनमें से एक हैं।

गुजरात के भरूच की रहने वाली भूमि चौहान की कल फ्लाइट AI-171 मिस हो गई थी। वह ट्रैफिक की वजह से लेट हो गईं थीं। भूमि के पिता ने बताया, “हम ट्रैफिक की वजह से एयरपोर्ट पर देरी से पहुंचे। हमने अनुरोध किया लेकिन उन्होंने हमें जाने नहीं दिया। जब हम एयरपोर्ट से बाहर आए तो हमें खबर मिली कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है।”

भूमि चौहान की मां कहती हैं, “हम अपनी बेटी की रक्षा के लिए देवी मां का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने अपना बच्चा मेरे पास छोड़ दिया और यह सब देवी मां के आशीर्वाद की वजह से है; उस बच्चे की वजह से वह मेरे साथ है।

Air India Flight: 10 मिनट लेट पहुंचने से बच गयी जान

वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान भूमि चौहान ने बताया, “हम चेक-इन गेट पर 10 मिनट देरी से पहुंचे लेकिन उन्होंने मुझे परमिशन नहीं दी और मैं वापस लौट आई। उन्होंने कहा कि इससे फ्लाइट में और देरी होगी। अहमदाबाद शहर में ट्रैफिक की वजह से मुझे देरी हुई। जब मुझे पता चला कि फ्लाइट क्रैश हो गई है तो मैं पूरी तरह से स्तब्ध रह गई। मैं अपनी देवी मां का शुक्रिया अदा करती हूं कि मैं सुरक्षित हूं लेकिन यह घटना बेहद भयावह है।”

Plane Crash: शख्स ने आगे बढ़ा दी थी यात्रा की तारीख

ऐसे ही एक और शख्स सावजीभाई टिंबाडिया भगवान का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे क्योंकि गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जाने वाली एअर इंडिया की उड़ान में न बैठने के उनके फैसले ने उनकी जान बचा ली। टिंबाडिया ने एक टेलीविजन चैनल से कहा, ‘‘मैं अपने जीवन के लिए स्वामीनारायण का ऋणी हूं और मुझे बचाने के लिए सभी देवी-देवताओं का धन्यवाद करता हूं।’’

टिंबाडिया ने कहा, ‘‘लंदन में रहने वाले मेरे बेटे ने पहले ही फ्लाइट की बुकिंग करा ली थी। मुझे भी एक सीट नंबर आवंटित किया गया था लेकिन मैंने अपनी यात्रा चार दिन के लिए टाल दी। मुझे नहीं पता था कि यह फैसला मेरी जान बचा लेगा। दुर्घटना के बाद, मेरे बेटे ने मुझे लंदन से फोन किया और बताया कि इस जीवन में मेरे अच्छे कर्मों ने मुझे बचा लिया।’’

(भाषा के इनपुट के साथ)