अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक के बाद एक आगजनी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। वजह है कि लगातार कई घटनाएं होने व करोड़ों रुपए का नुकसान होने के बावजूद आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई न तो किसी की जवाबदेही ही तय की गई। यहां तक कि आग लगने से हुए आर्थिक नुकसान या मरीजों के इलाज की बावत हुए हर्जाने की आकलन रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं की गई। दूसरे लोगों को तो दूर एम्स के संकाय सदस्यों तक को नहीं बताया जाता कि आखिर कहां चूक हो रही है व उसे कैसे संभाला जाए।

एम्स में आग लगने की एक और घटना सामने आई जिसमें लाखों रुपए की मशीनें जल कर या भीग कर खराब हो गर्इं। राहत की बात बस यही है कि इसमें किसी मरीज को सीधे शारीरिक क्षति नहीं पहुंची। इस आगजनी में मरीजों के परोक्ष नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता। आग से बचाव के उपाय बेहद नाक ाफी हैं। एम्स के जानकारों की मानें तो एम्स में आग की घटनाएं इसलिए भी नहीं रुक रही हैं कि आग लगने की घटनाओं से सबक नहीं लिया जाता। शनिवार को भी लगी आग को बुझाने के लिए पाइपों में पानी नहीं आ रहा था।

एम्स में 17 अगस्त 2019 को लगी आग में बड़ी संख्या में प्रयोगशालाएं, मशीनें व डाक्टरों के कमरे व उपक रण जल कर खाक हो गए थे। मरीजों के बायोप्सी व बोनमैरो जैसे कष्टकारी जांच के नमूने भी जलकर नष्ट हो गए थे। बावजूद इसके मामले की जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई। न ही इस मामले में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। जवाबदेही तय किया जाना तो दूर सुरक्षा अधिकारी को इसके बाद भी दो साल का सेवा विस्तार दे दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक प्रयोगशाला एरिया में इस आग में एक चिकित्सक के कमरे से शुरू हुई आग के बाद भी फायरअलार्म नहीं बजे थे। फायर नियंत्रण कर्मी मुस्तैद नहीं थे। प्रयोगशाला में ज्वलनशील पदार्थ स्पार्किंग की जद में रखे गए थे। फिर भी किसी को कुछ नहीं कहा गया। डाक्टर आज भी अपना काम चलाने के लिए जगह की तलाश में भटक रहे हैं। किसी की कोई जबावदेही नहीं।

एम्स में इससे पहले मई में ट्रॉमा सेंटर में भी आग लग गई थी। इसमें कई आपरेशन थिएटर जल कर खाक हो गए थे। ओटी की बड़ी बड़ी मशीनों सहित तमाम उपकरण व आपरेशन टेबल सहित काफी दवाएं वगैरह जलकर राख हो गई थीं।