प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत के सामने कहा कि अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर केस के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने पूछताछ के दौरान एक सवाल के जवाब में ”मिसेज गांधी” का नाम लिया। ईडी ने कहा कि बाद में मिशेल अपने वकील को एक फॉलो-अप सवाल पकड़ाया जिसमें उसने “आगे क्या कहूं” पर निर्देश मांगे। ईडी ने इसे “बचाव या सबूतों संग छेड़छाड़ की साजिश” बताया।
अवकाश न्यायाधीश चंद्र शेखर के समक्ष ईडी के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने कहा, “परसों (27 दिसंबर) इन्होंने मिसेज गांधी का नाम लिया था एक किसी रेफरेंस में। मैं रेफरेंस का नाम नहीं लूंगा। तो हमें फॉलो-अप क्वेश्चन करना था कि मिसेज गांधी कौन हैं… मेडिकल एग्जामिनेशन के टाइम पर उन्हें लीगल एक्सेस दिया गया था कि अचानक ये नोटिस किया गया कि उन्होंने कुछ दिया है, जो वकील साहब ने अपनी जेब में रख दिया। जब चेक किया गया तो मिसेज गांधी पर जो फॉलो-अप क्वेश्चंस थे वो वकील साहब को स्लिप-इन किए गए।”
ईडी के वकील ने “बचाव या सबूतों से छेड़छाड़ की साजिश” का दावा करते हुए कहा कि इसका खुलासा आरोपी से पूछताछ करने पर चल सकता है। घटना पर एक रिपोर्ट और मिशेल को उसके वकीलों से न मिलने देने की बात कहते हुए डीपी सिंह ने कहा, “कानूनी मदद के फायदे बंद किए जाने चाहिए…वह असल में यह पूछ रहे थे कि आगे क्या बोलना है और सवाल-जवाब की लाइन को बाहर पहुंचाना चाहते थे।”
ईडी ने आगे कहा कि कॉन्ट्रैक्ट के मोल-भाव से जुड़े कागजातों में “यह लिखा है कि ‘इटैलियन महिला का पुत्र…अगला प्रधानमंत्री बनने जा रहा है’… हमें उसे (मिशेल) यह कागज दिखाकर पूछताछ करनी होगी… हमें अपराध किस तरह हुआ, यह पता लगाना होगा। अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक के नजदीक पैसे दिए गए और हमें उनकी पहचान करनी होगी… हमें यह भी पता लगाना होगा कि किश्चियन मिशेल और अन्य लोगों के बीच हुई बातचीत में ‘R’ कहकर किसे बुलाया गया है। हमें मिशेल और अन्य लोगों से पूछताछ कर जानना होगा कि यह ‘R’ कौन है।”
3,600 करोड़ रुपये के कथित अगस्तावेस्टलैंड घोटाले में आरोपी मिशेल को हाल ही में यूएई से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। फिलहाल वह प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में है। एजंसी ने शनिवार को आठ और दिनों के लिए उसकी कस्टडी मांगी थी, जज ने हफ्ते भर के लिए कस्टडी में रखने की इजाजत दे दी है।