आज के समय में आंतकियों के खिलाफ ऑपरेशन या फिर सरहद पर सीजफायर उल्लंघन से निपटते हुए जवान रोजाना जिंदगी और मौत से जूझते हैं। इस स्थिति में जवानों के लिए बुलेट प्रूफ हेलमेट उनकी सुरक्षा किट का एक अहम हिस्सा साबित होता है। लेकिन देशवासियों के जीवन को बचाने के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों में लड़ते भारतीय सेना के सैनिकों इस बुनियादी जरूरत से वंचित थे। दुश्मनों से देश की जनता को बचाने वाले जवान पुराने हो चुके हैलमेट इस्तेमाल करने पर हैं। यह हैलमेट वजन में ढाई किलो के होते हैं। साथ यह सिर्फ माथे और सिर के पूछे के हिस्सों को कवर करते हैं। हालांकि सेना के जवानों का इंतजार अब खत्म हो गया है और उनके लिए एक अच्छी खबर है कि कई दशकों के इंतजार के बाद भारतीय सेना को इस महीने बूलेट प्रूफ हेलमेट मिल गया है। ये हेलमेट शॉर्ट रेंज में भी काम करेगा।
इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत में नाटो और यूएन के लिए सैन्य उपकरण बनाने वाली कानपुर की कंपनी एकेयू लिमिडेट को 180 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। जिसमें 1.6 लाख के करीब हेलमेट सप्लाई किए जाने हैं। कंपनी ने हाल ही में पहली किश्त डिलीवर की है। बुलेट प्रफ हैलमेट की सबसे अहम सुरक्षा सतह केवलर है, जिसका इस्तेमाल बैटमैन के बैटसूट और कैप में किया जाता है। इस हेलमेट के आ जाने के बाद अब दुश्मनो के खिलाफ प्रबल तरीके से लड़ने में आसानी होगी। हेलमेट को इस हिसाब से डिजाइन किया कि वह शॉर्ट रेंज में 9 एनएम की गोली सहन कर सकता ही। इसके साथ ही भारतीय सेना ने बोल्ट-फ्री बैलेसटिक हेलमेट के बोल्डेट वर्जन के लिए भी ऑर्डर दिया है। हालांकि यह हेलमेट भारतीय सेना की लिस्ट में शामिल नहीं है। बोल्ड-फ्री का उच्च तकनीकी और महंगे वर्जन वाले हेलमेट्स है, जो कि ऑल राउंड सुरक्षा देता है और इससे पूरा सिर चोंट से बचा रहता है।
ये हेलमेट विश्व के प्रमुख बलों के तय मानकों को पूरा करते हैं। ये हेलमेट सुविधाजनक भी हैं और उनके भीतर संचार उपकरण को भी लगाया जा सकता है। हालांकि नियमित सैनिकों को भारी वजन वाले घरेलू बाजार से बने हेलमेट दिए गए थे जो कि युद्ध जैसी स्थितियों के लिए सुविधाजनक नहीं थे। जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना को बुलेट प्रूफ़ ‘पटका’ पहनने होती है।