कर्नाटक के बीजेपी सांसद अनंत हेगड़े के 40 हजार करोड़ रुपये के फंड वाले बयान पर बीजेपी बैकफुट पर है। मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत पार्टी को सफाई देनी पड़ी गई। बीजेपी की तरफ से कहा गया है कि हेगड़े को एक फॉरवर्ड मैसेज के जरिए गलत जानकारी मिली थी और यह झूठा मैसेज मुंबई में सर्कुलेट किया जा रहा था।
फडणवीस की तरफ से सफाई में कहा गया है कि उन्होंने सीएम पद पर रहते हुए इस तरह का कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। एएनआई के मुताबिक फडणवीस ने कहा, “यह पूरी तरह से गलत है। मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं। मैं फिर कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार का बुलेट ट्रेन में रोल सिर्फ जमीन अधिग्रहण का है। बुलेट ट्रेन ही नहीं किसी भी मियाद से महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को (फंड) वापिस नहीं किया है। मैं मुख्यमंत्री था या कार्यवाहक मुख्यमंत्री था, ऐसे किसी भी समय मेजर पॉलिसी मेकिंग डिसिजन मैंने नहीं लिया है। ऐसी बयानबाजी को मैं सिरे से खारिज करता हूं। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि जो सरकार है या उसका वित्त विभाग है, इस मामले में जांच करके सच्चाई सामने लाए।”
#WATCH Former Maharashtra CM & BJP leader Devendra Fadnavis on Ananth K Hegde (BJP) remark, 'Devendra Fadnavis became CM & in 15 hours he moved Rs 40,000 crores back to Centre': No such major policy decision has been taken by me as CM. All such allegations are false. pic.twitter.com/wSEDOMGF4N
— ANI (@ANI) December 2, 2019
गौरतलब है कि अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले अनंत हेगड़े ने कहा था कि महाराष्ट्र से 40 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए देवेंद्र फडणवीस को तीन दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया था। हेगड़े ने कहा, “आपको पता है कि हमारा आदमी 80 घंटे के लिए सीएम बना था। इसके बाद फडणवीस ने इस्तीफे दे दिया। क्या हमको पता नहीं था कि हमारे पास बहुमत नहीं है, फिर भी वह सीएम बने। यह सवाल हर कोई पूछता है। मुख्यमंत्री के पास करीब 40 हजार करोड़ रुपये थे। अगर कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सत्ता में आते तो वे इन पैसों का नाजायज इस्तेमाल करते।”
24 नवंबर को देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के तत्कालीन विधायक दल के नेता अजित पवार के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। दोनों ने विधान भवन में सीएम तथा डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली थी। जिसके बाद काफी सियासी कोहराम मचा था। हालांकि, इसके 80 घंटे बाद अजित पवार और फडणवीस ने इस्तीफे दे दिया और एनसीपी-कांग्रेस तथा शिवसेना की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।