बीते महीनों में जिस तरह से IAS अधिकारियों ने इस्तीफे दिए हैं, उसे देखते हुए सरकार के भीतर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नौकरशाहों के त्यागपत्र को देखते हुए मोदी सरकार अब इस संबंध में कड़े कदम उठाने जा रही है। माना जा रहा है कि इस्तीफे को लेकर नियम अब और कड़े किए जा सकते हैं। ‘द प्रिंट’ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) इस मामले में आगामी सप्ताह में एक बैठक करने वाली है, जिसमें अधिकारियों के इस्तीफे और उनकी समस्याओं को लेकर विमर्श किया जाएगा।
वर्तमान नियम के मुताबिक यदि कोई नौकरशाह इस्तीफा देता है तो सरकार द्वारा उसकी विदेशों में ट्रेनिंग पर हुए खर्च को चुकता करना होता है। इसके अलावा यदि अधिकारी प्रोबेशन पीरियड के दौरान भी सर्विस छोड़ता है तो खर्च का वहन उससे आपेक्षित होता है। वैसे अगर देखा जाए तो भारत में IAS, IPS और IFS की रिक्त संख्या काफी बड़े पैमाने पर है। फिर भी सरकार नियम-कायदों को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने की सोच रही है। गौरतलब है कि भारत सरकार नौकरशाहों की ट्रेनिंग पर काफी ज्यादा पैसे खर्च करती है और यदि वे सर्विस से इस्तीफा देते हैं तो यह सरकार के लिए घाटा है।
गौरतलब है कि पिछले 3 महीनों में 4 आईएएस अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने जुलाई में वित्त मंत्रालय से ट्रांसफर किए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था। वहीं, अगस्त महीने में अरुणाचल, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेश कैडर के अधिकारी जी कन्नन ने भी जम्मू-कश्मीर के वर्तमान हालात को लेकर विरोध-स्वरूप इस्तीफा दे दिया। उनके बाद कर्नाटक कैडर के भी एक अधिकारी ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए सर्विस से रिजाइन कर दिया।