दिल्ली की तीस हजारी अदालत में पार्किंग विवाद के बाद वकीलों और पुलिस के बीच हुई झड़प की कहानी सामने आई है। दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी ने इस हिंसा की घटना की पूरी कहानी बताई। एडिशनल डीसीपी (नॉर्थ) हरेंद्र सिंह ने कहा कि पीसीआर पर कॉल आने के कुछ मिनट बाद पुलिस वहां पहुंची।
हरेंद्र सिंह ने बताया कि वह अदालत परिसर में गेट नंबर 2 से घुसे। उन्होंने देखा कि वकील 3rd बटालियन के पुलिस वालों को पीट रहे थे। उन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में कहा कि हम लॉक-अप रूप की तरफ बढ़े और सभी वकीलों को वहां से हटाया। इसके बाद हमने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया ताकि पुलिसवालों को बचाया जा सके।
हरेंद्र सिंह ने कहा कि लेकिन उस समय मेरा ऑपरेटर बाहर ही रह गया। वकीलों ने उसे पीटना शुरू कर दिया। प्रारंभिक जांच से खुलासा हुआ है कि वकील और पुलिस में बहस करीब 2 बजे शुरू हुई जब पुलिस लॉक-अप के बाहर तैनात कॉन्स्टेबल प्रदीप कुमार ने अपने वाहन को निकालने के लिए वकील को उसकी जीप हटाने के लिए कहा।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखने और पुलिसवालों के बयान दर्ज के बाद दिख रहा है कि तीन लोग जीप से बाहर आए…इसके बाद हुई बातचीत बहस में बदल गई। इसके बाद कॉन्स्टेबल के साथ अन्य पुलिसवाले आ गए। वहीं बहस बढ़ती देख अन्य वकील भी दूसरी तरफ से आ गए।
इसके बाद 3rd बटालियन के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ने लॉकअप के भीतर से दो राउंड फायरिंग की। इसके बाद से वकीलों ने पुलिसवालों पर हमला शुरू कर दिया। घटना को याद करते हुए सिंह ने बताया कि वे पुलिस वाले को खुद को सौंपे जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन हमने दरवाजा बंद कर लिया और उनकी मांग नहीं मानी। इससे गुस्साए वकीलों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। उन लोगों ने प्रवेश द्वार पर खड़े मोटरबाइक में आग लगा दी।
धुएं लॉकअप में भरना शुरू हो गया जिसमें कैदी थे। इसके बाद वहां अफरातफरी की स्थिति बन गई। अंदर पानी की बाल्टी से हमने आग को बुझाने का प्रयास किया। हम वहां करीब दो घंटे रहे और हम पुलिस की तरफ से हल्का लाठीचार्ज किए जाने के बाद से कोर्ट परिसर से बाहर निकाले जा सके। इस बीच वकीलों ने पुलिस पर अनावश्यक रूप से बल प्रयोग करने का आरोप लगाया।