26 June Highlights: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता गुरुवार यानी 26 जून को द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम EXPRESS ADDA में मुख्य मेहमान थीं। रेखा गुप्ता ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष और विपक्ष दोनों हैं। लेकिन दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है। उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के बजाय विकास चाहती हूं। स्पेस स्टेशन में शुभांशु शुक्ला का स्वागत हुआ। शुभांशु शुक्ला ISS में एंट्री करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में गुरुवार को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई। व्हाइट नाइट कोर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर बसंतगढ़ में ऑपरेशन बिहाली शुरू किया। व्हाइट नाइट कोर ने कहा, ‘विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बसंतगढ़ के बिहाली क्षेत्र में एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। आतंकवादियों के साथ संपर्क स्थापित हो गया है। ऑपरेशन वर्तमान में प्रगति पर है।
SCO समिट में राजाथ सिंह ने पाकिस्तान को खूब सुनाया: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शंघाई में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में बात करते हुए पाकिस्तान की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब यह बात कही तो इस दौरान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद रहे।
वैश्विक शांति के बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए किंगदाओ में आना मेरे लिए खुशी की बात है। मैं अपने मेजबानों को उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं बेलारूस को एससीओ परिवार में एक नए सदस्य के रूप में शामिल होने पर बधाई देना चाहता हूं। हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह एक बड़े बदलाव से गुज़र रही है। वैश्वीकरण, जो कभी हमें एक साथ लाता था, अब अपनी गति खो रहा है। बहुपक्षीय प्रणालियों के कमजोर होने से शांति और सुरक्षा बनाए रखने से लेकर महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तक की जरूरी चुनौतियों का समाधान करना मुश्किल हो गया है।’
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महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता और विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा, “यह हास्यास्पद है कि वे (भाजपा) इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ कह रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे हर दिन संविधान बदलने की बात करते हैं। उनके यूपी के सीएम मनुस्मृति को टेबल पर रखकर बात करते हैं, उन्हें संविधान पर विश्वास नहीं है। उनमें से कई ने संविधान बदलने और मनुस्मृति को लागू करने की बात की। जो लोग हर दिन संविधान की हत्या कर रहे हैं, उन्हें इसके बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है।”
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “…क्या उन दिनों को भुलाया जा सकता है? देश कभी नहीं भूलेगा कि वह दिन स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा कलंक है – संविधान हत्या दिवस। देश को संकल्प लेना चाहिए कि यह दिन दोबारा न आए।”
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, “आज के दिन 1975 में कांग्रेस ने आपातकाल लगाया था और संविधान की धज्जियां उड़ाई गई थीं। हम सब कांग्रेस के कुकृत्यों को देश की जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे… लाखों लोगों को जेल में डाला गया और कांग्रेस ने ये सब सिर्फ अपने नेता की कुर्सी बचाने के लिए किया।”
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा सरकार आज ‘संविधान हत्या दिवस’ मना रही है, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, “सरकार जिस तरह से अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर अवसर का लाभ उठा रही है, जनादेश तो 1985 में ही आ गया था, लेकिन आज देश अघोषित आपातकाल झेल रहा है। क्या आपने कभी 150 सांसदों को संसद से बाहर निकलते देखा है। पिछले चुनाव में 400 सीटें लाकर वे संविधान बदलना चाहते थे, लोगों ने मना कर दिया। मैं कहना चाहता हूं कि जिस तरह से नागरिकों की आजादी का हनन किया गया है, टैक्स आतंकवाद चल रहा है, किसानों पर अत्याचार हो रहे हैं, ये 11 साल का शासन तानाशाही शासन जैसा है।”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ ‘संविधान हत्या दिवस’ के आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत कहते हैं, “संविधान का पूरा सम्मान करते हुए इंदिरा गांधी ने उस समय आपातकाल लगाया था… लोकतंत्र में आपातकाल को संवैधानिक मान्यता प्राप्त है, इसलिए आप इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ नहीं मान सकते। इंदिरा गांधी जोड़-तोड़ करके, पैसे का इस्तेमाल करके चुनाव जीत सकती थीं, लेकिन इंदिरा गांधी ने ऐसा नहीं किया। इंदिरा जी लोकतंत्र की ‘चौकीदार’ थीं। पिछले 11 सालों से देश में अघोषित आपातकाल है…”
IAF ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने कहा, “हम इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हम (ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के लिए) बिल्कुल भी डरे हुए नहीं हैं। हम खुश हैं, हमें बहुत गर्व है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आज से पचास साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद रखते हैं। संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से देश पर आपातकाल थोपा गया वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बहुत बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं बची थी जिसका ग़लत इस्तेमाल न किया गया हो। मगर इस देश में जो लोकतांत्रिक परम्पराएँ रही हैं उनको चाह कर भी तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पायी। आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने भी संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएँ सहीं, उन सभी का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की आने वाली पीढ़ियाँ उनका योगदान कभी भुला नहीं सकतीं। प्रधानमंत्री श्री मोदीजी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का निर्णय लिया है, ताकि हर देशवासी को स्मरण रहे कि तानाशाही कैसे लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास करती है।”
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा प्रवक्ता सीआर केसवन कहते हैं, “आज हमारे देश में आपातकाल लागू किए जाने का 50वां वर्ष है और कांग्रेस पार्टी को हमारे संविधान की हत्या और हमारे लोकतंत्र का कत्लेआम करने के लिए हमारे देश से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए… आज, हम उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक पल निकालते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता की कीमत पर अपने प्राणों की आहुति दी।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज शाम को “द इमरजेंसी डायरीज़ – इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर” नामक पुस्तक का विमोचन करेंगे। इस पुस्तक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा द्वारा लिखी गई विशेष प्रस्तावना है। यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है जो उस समय आरएसएस के युवा प्रचारक थे और उन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में निभाई थी।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर ABVP के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पीवी कृष्ण भट्ट ने कहा, “आपातकाल घोषित होने के एक महीने बाद मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने RSS और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले सभी लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका श्रेय देश के उन लोगों को जाता है जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी।”
पीएम मोदी ने कहा कि हम हर उस व्यक्ति को सलाम करते हैं जो आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में दृढ़ रहे! ये पूरे भारत के लोग थे, सभी क्षेत्रों से, विभिन्न विचारधाराओं से, जिन्होंने एक लक्ष्य के साथ एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया: भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा करना और उन आदर्शों को संरक्षित करना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष था जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनावों की घोषणा करनी पड़ी, जिसमें वे बुरी तरह हार गए,
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, संसद की आवाज को दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। 42वां संशोधन उनकी हरकतों का एक प्रमुख उदाहरण है। गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, यहां तक कि उनकी गरिमा का अपमान भी किया गया।”
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर, आरएसएस और भाजपा नेता भुबनानंद त्रिपाठी, जो आपातकाल के दौरान जेल गए थे, कहते हैं, “…वह एक काला दौर था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इंदिरा गांधी अपनी कुर्सी बचाना चाहती थीं। कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था। देश में कोई अराजकता भी नहीं थी। लेकिन उन्होंने खुद को बचाने के लिए आपातकाल लगाया। हम उस समय कॉलेज के छात्र थे…. विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। उस दौरान सभी मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे… संविधान की हत्या कर दी गई थी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। ऐसा लगा जैसे उस समय सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को गिरफ़्तार कर लिया था।”
